माता पिता के लाड़ प्यार से गुरू की ड़ांट ज्यादा उपयोगी होती है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
इंसान मौत से बचने की कोशिश करता है परन्तु नरक से बचने की नहीं,
जबकि हकीकत ये है कि कोशिश करने से इंसान नरक से तो बच सकता है पर मौत से नहीं ।
(धर्मेंद्र)
You sow a thought, you reap an action.
Reap an action,You sow a habit.
Sow a habit, you reap a character.
Sow a character, you reap your destiny.
(Mr. Rajat)
एक ज़ोकर ने लोगों को एक ज़ोक सुनाया, सब लोग बहुत हँसे,
उसने वही ज़ोक दुबारा सुनाया तो कम लोग हँसे,
उसने वही ज़ोक फिर से सुनाया तो कोई भी नहीं हँसा ।
फिर उसने एक बहुत प्यारी बात बोली –
अगर तुम एक खुशी को लेकर बार बार खुश नहीं हो सकते, तो एक ग़म को लेकर बार बार क्यों रोते हो ?
(श्री संजय)
हम बड़े कब बनते हैं ?
जब हम बड़ी बड़ी बातें करते हैं ।
नहीं
जब हम छोटी छोटी बातें समझने लगते हैं ।
(श्री अंकुश)
दिल से ज्यादा उपजाऊ जगह और कोई नहीं हो सकती,
क्योंकि यहाँ कुछ भी बोओ बढ़ता जरूर है, फिर चाहे वो प्यार हो या नफ़रत ।
(धर्मेंद्र)
Anger is a situation in which tongue works faster than mind.
Smile is an action in which everything works faster except tongue.
(Mrs. Shuchi)
इंसान भी कितना अजीब प्राणी है,
उसको अपने ‘ज्ञान’ का ‘अभिमान’ तो होता है लेकिन अपने ‘अभिमान’ का ‘ज्ञान’ नहीं होता ।
(ड़ा. सुधीर)
मुंबई महानगर में जैन संत आचार्य श्री सुबाहुसागर जी महाराज की सल्लेखना पूर्वक समाधी 4 नवम्बर को हो गई ।
इसीतरह मुनि श्री संयमसागर जी की समाधी 23 अक्टूम्बर को हुई थी ।
वृद्धावस्था में धर्म साधना ना हो पाने की वजह से कई दिनों से आपने अन्न जल का त्याग कर दिया था ।
अंत समय दूसरे मुनिराज तथा श्रावकों के सानिध्य में भगवान के नाम का उच्चारण/स्मरण करते हुये आपने शांतिपूर्वक देह का त्याग कर दिया ।
यदि किसी राह पर चलते हुये आपके सामने एक भी समस्या नहीं आए, तो समझ लेना कि आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं।
स्वामी विवेकानंद जी
वाणी का अद्भुत प्रभाव होता है –
कड़वा बोलने वाले का ‘शहद’ भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले की ‘मिर्च’ भी बिक जाती है ।
(धर्मेंद्र)
Happiness always looks small, if you hold it in your hands.
But when you learn to share it,
You realize – How big and precious it is.
(Mrs. Shuchi)
जब अपनी इच्छायें नहीं रह जातीं तब वे दूसरों की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं ।
इसीलिये बुजुर्गों ( तथा साधूओं ) से आर्शीवाद लिया जाता है ।
श्री रविशंकर जी
Everyone knows how to count…,
But, very few know – what COUNTS…
(Shri Sanjay)
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