A stone is broken by the last stroke of hammer.
It does not mean that the first stroke is useless !…
Success is a result of continuous efforts !!

(Mr. Dharmendra)

हम जिस तरह आज जीते हैं,
उसी तरह आगे के जीने के लिये भी हम तैयारी कर लेते हैं ।
(इस जन्म में तथा अगले जन्म में हम कैसे होंगे, इसका निश्चय हमारा ‘आज’ का life pattern करता है )

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

गमन में ही ‘गमन‘ छुपा है,
जन्म के समय ही मृत्यु निश्चित हो जाती है,
सृजन के साथ विसर्जन अवश्यम्भावी है,
ये नियम नहीं बदलते, इनको बदलने वाले अवश्य बदल जाते हैं, समाप्त हो जाते हैं ।

चिंतन

मन दो अक्षरों से मिलकर बना है –
‘म’ – मोक्ष के लिये,
‘न’ – नरक के लिये ।

मन को वश में कर लो तो मोक्ष,
मन के वश में हो गये तो नरक ।

ऐलक श्री समर्पणसागर जी

धर्म के बारे में सोचा नहीं जाता,
बस अधर्म कम करते चले जाओ,
धर्म स्वंय जीवन में आता जायेगा ।

अधर्म का अभाव ही धर्म है,
जैसे हिंसा का अभाव ही अहिंसा है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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