क्या स्त्री सब लड़ाईयों की जड़ है ?

नहीं, स्त्री के प्रति जो आसक्त्ति है वह युद्ध कराती है ।

चिंतन

पूज्यों/बड़ों/गुणवानों के चरणों में सिर झुकाने की परम्परा इसलिये है क्योंकि अपने यहाँ चारित्र की प्रमुखता है ।
चरण आचरण के प्रतीक होते हैं, सिर ज्ञान का प्रतीक है ।
ज्ञान को चारित्र के आगे झुकाने की परम्परा  है ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

शरीर मिट्टी का ही तो बना है ।
यह मिट्टी जमाने की हवा लगकर सूख जाती है ।
तब सत्संग के छीटें मार लें, वरना यह पात्र बनने के लायक नहीं रहेगी और हम किसी की तथा अपनी प्यास भी नहीं बुझा पायेंगे ।

चिंतन

इंसान मौत से बचने की कोशिश करता है परन्तु नरक से बचने की नहीं,
जबकि हकीकत ये है कि कोशिश करने से इंसान नरक से तो बच सकता है पर मौत से नहीं ।

(धर्मेंद्र)

एक ज़ोकर ने लोगों को एक ज़ोक सुनाया, सब लोग बहुत हँसे,
उसने वही ज़ोक दुबारा सुनाया तो कम लोग हँसे,
उसने वही ज़ोक फिर से सुनाया तो कोई भी नहीं हँसा ।

फिर उसने एक बहुत प्यारी बात बोली –
अगर तुम एक खुशी को लेकर बार बार खुश नहीं हो सकते, तो एक ग़म को लेकर बार बार क्यों रोते हो ?

(श्री संजय)

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