God

My wife treats me like God.!
She takes no notice of my existence till she wants something from me.

(Mr. Dharmendra)

साधु संगति की महिमा दूध पानी जैसी है,
पानी दूध के साथ मिलकर दूध के भाव ही बिकने लगता है ।

मुनि श्री कुन्थुसागर जी

(पर दूध में ज़्यादा पानी मिलाने पर, दूध को सब थू थू करने लगते हैं )

दान से हमारे खाते में पुण्य नहीं पहुँच पाता,
मात्र कुछ पाप धुल पाते हैं ।

क्योंकि पुरूष ढेरों पाप करते हैं, धन कमाने में,
स्त्रियाँ ढेरों पाप करतीं हैं, घर के काम काजों में ।

एक शेर पेड़ के ऊपर बैठे बंदर को कैसे खा जाता है ?

शेर ने बंदर की परछांयी पर दहाड मार कर हाथ मारा तो बंदर डर कर नीचे गिर गया और शेर खा गया ।

हम भी वैभव, परिवारजन रूपी छाया को अपना मान कर दु:खी हो रहे हैं ।

एक शराबी नदी के किनारे बैठा था । वहीं एक राजा की सेना ने पड़ाव ड़ाला – हाथी, घोड़े आदि ।
शराबी बहुत खुश हुआ ।
सुबह सेना जाने लगी तो शराबी रोने लगा – मेरा ठाट बाट खत्म हो गया ।

हम सब भी परिवार आदि को पास देख खुश और जाने पर दुखी होते हैं ।
जबकि सब अपने कारणों से आते हैं और काम पूरा होने पर चले जाते हैं ।

विदेश में बहुत दिन रह आओ, तो क्या वह आपका घर कहलायेगा ?

संसार में कितने दिन भी भटक लो, पर उसे घर मत मानने लगना, घर तो हम सबका धर्म की शरण ही है, मोक्ष ही है ।

चिंतन

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