इंसान भी कितना अजीब प्राणी है,
उसको अपने ‘ज्ञान’ का ‘अभिमान’ तो होता है लेकिन अपने ‘अभिमान’ का ‘ज्ञान’ नहीं होता ।
(ड़ा. सुधीर)
मुंबई महानगर में जैन संत आचार्य श्री सुबाहुसागर जी महाराज की सल्लेखना पूर्वक समाधी 4 नवम्बर को हो गई ।
इसीतरह मुनि श्री संयमसागर जी की समाधी 23 अक्टूम्बर को हुई थी ।
वृद्धावस्था में धर्म साधना ना हो पाने की वजह से कई दिनों से आपने अन्न जल का त्याग कर दिया था ।
अंत समय दूसरे मुनिराज तथा श्रावकों के सानिध्य में भगवान के नाम का उच्चारण/स्मरण करते हुये आपने शांतिपूर्वक देह का त्याग कर दिया ।
यदि किसी राह पर चलते हुये आपके सामने एक भी समस्या नहीं आए, तो समझ लेना कि आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं।
स्वामी विवेकानंद जी
वाणी का अद्भुत प्रभाव होता है –
कड़वा बोलने वाले का ‘शहद’ भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले की ‘मिर्च’ भी बिक जाती है ।
(धर्मेंद्र)
Happiness always looks small, if you hold it in your hands.
But when you learn to share it,
You realize – How big and precious it is.
(Mrs. Shuchi)
जब अपनी इच्छायें नहीं रह जातीं तब वे दूसरों की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं ।
इसीलिये बुजुर्गों ( तथा साधूओं ) से आर्शीवाद लिया जाता है ।
श्री रविशंकर जी
Everyone knows how to count…,
But, very few know – what COUNTS…
(Shri Sanjay)
स्व. श्री होतीलाल जी (वरवाना) कई गांवों के जमींदार थे । उनके सेवक जब कोई गलती करते तो आप जूते उतार कर उनकी पिटाई कर देते थे । जब सेवक रोने लगते तो उनको मिठाई खाने को पैसे दे देते थे । सेवक बाहर जाकर खुश होकर मिठाई खाते और सबको बड़े गर्व से बताते कि मालिक ने आज जूतियाँ लगाईं ।
क्या सांसारिक सुख इसी तरह की मिठाई नहीं है जो बड़े दुख और अपमान के बाद थोड़ा सा इंद्रिय सुखाभास देती है ?
Don’t think why God does not grant all our wishes immediately,
but thank God that he does not punish us immediately for all our mistakes.
( Dr. Sudheer )
सीमा बहन का अपने भाई के नाम पत्र –
“—इस पर्व पर यही शुभकामना है कि आप बाह्य से अंतरंग की यात्रा में सबके सहायक बनें ।”
कल के दिन पहले श्री राम अपने घर वापिस आये, फ़िर इसी दिन श्री महावीर स्वामी मोक्ष गये मानो मोक्ष का रास्ता बता रहे हों –
पहले अपने अन्दर आओ तब मोक्ष मिलेगा।
चिंतन
दीपावली की पहली रात को आचार्यश्री ध्यान में बैठे और सुबह जब बाकी साधु और श्रावक लोग आये तो देखा कि आचार्यश्री की आँखें लाल थीं और अश्रुधारा बह रही थी । लगता था आचार्यश्री पूरी रात सोये नहीं थे और ध्यान मुद्रा में ही बैठे रहे ।
पूंछने पर बताया – देखो ! महावीर भगवान आज ही सुबह अपना कल्याण करके मोक्ष पधारे थे, पता नहीं हमारा कल्याण कब होगा ?
श्री आर. के. जैन ( Ad.Commissioner) के पास बहुत लोग दीपावली पर मिलने आते थे और बहुत सारी आतिशबाजी भी लाते थे । घर के बच्चे आतिशबाजी चलाते थे तथा सेवकों को भी बांटी जाती थी ।
धीरे धीरे बच्चों में विवेक जागा और उन्होंने आतिशबाजी ना चलाने का नियम लिया । अब आतिशबाजी सेवकों में बंटने लगी ।
अगले वर्षों में सेवकों को भी बंटना बंद हुई और उनके असंतोष के वाबजूद आतिशबाजी ना देने का निर्णय ले लिया गया ।
अहिंसा की रक्षा और वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिये हम सब भी इस संस्मरण से प्रेरणा लें और अपने बच्चों को समझायें ।
नियम/संयम सज़ा नहीं है,
ये तो जीवन की सज़ावट के लिये होते हैं ।
Pages
CATEGORIES
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत – अन्य
- प्रश्न-उत्तर
- पहला कदम
- डायरी
- चिंतन
- आध्यात्मिक भजन
- अगला-कदम
Categories
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- Uncategorized
- अगला-कदम
- आध्यात्मिक भजन
- गुरु
- गुरु
- चिंतन
- डायरी
- पहला कदम
- प्रश्न-उत्तर
- वचनामृत – अन्य
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर

Recent Comments