प्रवचन कान से नहीं, प्राण से/ध्यान से सुनना चाहिए ।
जैसे गाली कान से नहीं, प्राण से/ध्यान से सुनते हैं, तभी तो प्रतिक्रिया करते हैं,
प्रवचन का Reaction – मन की पवित्रता ।
मंज़िल पे फूल लेके, बहुत लोग खड़े थे ।
पर किसी के पांव में, छाले नहीं देखे ।।
एक अंधा भिखारी बोर्ड पर यह लिखकर कि ‘मैं अंधा हूँ, मुझे मदद करें’, भीख मांग रहा था । कुछ ही लोग पैसा दे रहे थे ।
एक व्यक्ति ने बोर्ड बदल दिया और उस पर लिखा –
‘मौसम कितना सुहावना है, पर मैं देख नहीं सकता’ ।
ढेरों पैसे आने लगे ।
पहले समय में किसी के पास घड़ी नहीं थी, पर समय था ।
आज हम सबके पास घड़ियां हैं, पर समय नहीं है ।
श्री मेहुल
वही पुण्य श्रेष्ठ, जिसके उदय में भगवान की याद/ सामीप्य बढ़े ।
वह पुण्य निकृष्ट है, जिसके आने पर भगवान को भूल जाये/दूरियां बढ़ें ।
श्री संजय
ठंड ज्यादा थी सो रज़ाई के ऊपर लोई भी ड़ाल दी गयी ।
सुबह उठा तो मोटी रज़ाई तो थी, पर पतली लोई हट गयी थी ।
अंत में ठोस धर्म ही रह जाता है, बाकी सब सहारे साथ छोड़ जाते हैं ।
चिंतन
When mind is weak, every situation is a Problem,
When Mind is balanced, every situation is a Challenge,
When Mind is Strong, every situation is an Opportunity.
(Shri R B Garg)
दूज के चाँद का इतना महत्व क्यों है ?
क्योंकि उसमें सम्भावनायें (प्रगति की/पूर्ण चंद्र बनने की) सबसे ज्यादा होती हैं ।
पं श्री जवाहरलाल नेहरू ( श्रीमति सुनीति)
दृष्टि यदि सही हो तो संसार की कोई भी वस्तु खोने पर आप कुछ भी ‘खोते’ नहीं हैं, बल्कि ‘पाते’ हैं – शांति, आनंद, सुकून ।
क्योंकि परिग्रह, मोह/Attachment कम हुआ, मन ने उदारता पायी ।
श्रीमति निधि (चिंतन)
हम सबको सच्चे गुरु की तलाश होती है,
सच्चा गुरु तब मिलता है जब हम सच्चे शिष्य बन जाऐं ।
मुनि श्री प्रतीकसागर जी
बड़ों के सामने हाथ फैलाते हैं,
बराबर वालों से हाथ मिलाते हैं,
भगवान के सामने हाथ जोड़ लेते हैं ।
(बस अब और कुछ नहीं चाहिए)
तिनके एक हो गये तो झाड़ू बन घर के कचरे को बाहर निकाल देते हैं ।
तिनके बिखर जाऐं तो कचरा बन जाते हैं ।
कुछ लोग हमेशा यह शिकायत करते हैं कि ‘वक्त नहीं मिलता’,
शायद इस कथन से ही ‘कमबख़्त’ (कम वक्त) शब्द बना होगा ।
ऐलक श्री समर्पणसागर जी
Kinetic Energy = पुरुषार्थ,
Potential Energy = भाग्य।
चिंतन
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