छोटी सी बुरी आदत, जैसे “पान खाना”, यह भी अपने और दूसरों के कपड़े, दीवारें, अपनी सेहत, सबको खराब करती है ।
तो बड़ी बड़ी बुरी आदतें ,कितना और कितनों का नुकसान करतीं होंगी ?
मेहनत करने वालों को ही भगवान की रहमत मिलती है ।
सिर्फ भारत में ही देश को माता के नाम से पुकारा जाता है ।
स्वतंत्रता तो अच्छी, पर स्वच्छन्दता नहीं ।
खाते देश का हैं, खाते विदेश में खोलते हैं ।
जैन धर्म के अनुसार इसके दो महत्व हैं ।
1. सांसारिक – स्त्री के बचपन में पिता संरक्षण देता है, युवावस्था में पति तथा वृद्धावस्था में बच्चे संरक्षण देते हैं ।
लेकिन भाई अपनी बहन को तीनों अवस्थाओं में संरक्षण देता है ।
2. धर्म के क्षेत्र में यह श्रमण (साधू) और श्रावकों (गृहस्थों) के प्रेम तथा संरक्षण का त्यौहार है ।श्रावक अपनी सांसारिक उपलब्धियों से साधु तथा धर्म की रक्षा करता है,वहीं साधु धर्म के द्वारा श्रावकों की रक्षा करते हैं।
मुनि श्री सौरभसागर जी
सत्ता का उपयोग सस्ते में मत गंवा देना ।
चिंतन
शरीर रूपी बर्तन में काई/गंदगी तो लगेगी ही,
इसे धर्म की राख से रोज़ाना साफ करना होगा ।
मुनि श्री सौरभसागर जी
जब भी खींचातानी हो (चाहे बातों पर ही सही), हम भाग न लें ।
रस्साकसी में तो किसी ना किसी के चोट लगेगी ही, चाहे वह चोट शारीरिक हो या भावनात्मक ।
श्री लालमणी भाई
India’s total :
Population = 118 Crore.
Deaths per day = 62,389
Births per day = 86,853
Total number of blind persons = 6,82,497
If the eyes of all the dead are donated, within 11 days every blind person will be able to see.
Then in India there will be No blind person.
Kindness costs nothing.
(Mr.Asheesh Mani Jain)
विदाई से पहले अंतरंग के गुणों की खुदाई कर लो ।
मुनि श्री सौरभसागर जी
मैत्री भाव जगत में मेरा, सब जीवों से नित्य रहे ।
दीन दुखी जीवों पर मेरे, उर से करुणा-स्त्रोत बहे ।।
रहे भावना ऐसी मेरी, सरल-सत्य व्यवहार करूं ।
बने जहां तक इस जीवन में, औरों का उपकार करूँ ।।
यदि सिंदूर को पत्नी माथे पर धारण करले तो उस एक चुटकी सिंदूर से पत्नी से पति बंध जाता है ।
ऐसे ही भक्ति/आदर से चुटकी भर धर्म भी हमारे भगवान/गुरू को बांध देता है ।
We spend our days waiting for the ideal path to appear in front of us.
But what we forget is that paths are made by walking.
Shri Anupam Tripathi
प्रियजनों का सामीप्य मिले तो ख़ुशी मिलती है न ?
यदि भगवान को प्रिय बनालो तो हर समय ख़ुशी ही ख़ुशी ।
चिंतन
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