मैत्री भाव जगत में मेरा, सब जीवों से नित्य रहे ।
दीन दुखी जीवों पर मेरे, उर से करुणा-स्त्रोत बहे ।।
रहे भावना ऐसी मेरी, सरल-सत्य व्यवहार करूं ।
बने जहां तक इस जीवन में, औरों का उपकार करूँ ।।

 यदि  सिंदूर को पत्नी माथे पर धारण करले तो उस एक चुटकी सिंदूर से पत्नी से पति बंध जाता है ।
ऐसे ही भक्ति/आदर से चुटकी भर धर्म भी हमारे भगवान/गुरू को बांध देता है ।

अगला विश्वयुद्ध भगवान के बनाये हुये इंसानों तथा इंसान के बनाये हुये इंसानों में होगा ।
क्योंकि इंसान इन Robots में सोचने की शक्ति ड़ालने का प्रयत्न कर रहा है और सोचने की शक्ति ही लड़ाई का कारण होती है ।

(श्री गौरव)

मांझी पहले दूसरों को किनारे पर उतारता है फिर खुद उतरता है ।
गुरू/भगवान भी हमको पहले किनारे पहुंचाना चाहते हैं, फिर खुद मोक्ष जाते हैं ।
इसलिये ही तो भगवान ज्ञान प्राप्ति के बाद भी बहुत समय तक संसार में रहते हैं ।

(श्री सुनील )

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