When mind is weak, every situation is a Problem,
When Mind is balanced, every situation is a Challenge,
When Mind is Strong, every situation is an Opportunity.
(Shri R B Garg)
दूज के चाँद का इतना महत्व क्यों है ?
क्योंकि उसमें सम्भावनायें (प्रगति की/पूर्ण चंद्र बनने की) सबसे ज्यादा होती हैं ।
पं श्री जवाहरलाल नेहरू ( श्रीमति सुनीति)
दृष्टि यदि सही हो तो संसार की कोई भी वस्तु खोने पर आप कुछ भी ‘खोते’ नहीं हैं, बल्कि ‘पाते’ हैं – शांति, आनंद, सुकून ।
क्योंकि परिग्रह, मोह/Attachment कम हुआ, मन ने उदारता पायी ।
श्रीमति निधि (चिंतन)
हम सबको सच्चे गुरु की तलाश होती है,
सच्चा गुरु तब मिलता है जब हम सच्चे शिष्य बन जाऐं ।
मुनि श्री प्रतीकसागर जी
बड़ों के सामने हाथ फैलाते हैं,
बराबर वालों से हाथ मिलाते हैं,
भगवान के सामने हाथ जोड़ लेते हैं ।
(बस अब और कुछ नहीं चाहिए)
तिनके एक हो गये तो झाड़ू बन घर के कचरे को बाहर निकाल देते हैं ।
तिनके बिखर जाऐं तो कचरा बन जाते हैं ।
कुछ लोग हमेशा यह शिकायत करते हैं कि ‘वक्त नहीं मिलता’,
शायद इस कथन से ही ‘कमबख़्त’ (कम वक्त) शब्द बना होगा ।
ऐलक श्री समर्पणसागर जी
Kinetic Energy = पुरुषार्थ,
Potential Energy = भाग्य।
चिंतन
छोटी सी बुरी आदत, जैसे “पान खाना”, यह भी अपने और दूसरों के कपड़े, दीवारें, अपनी सेहत, सबको खराब करती है ।
तो बड़ी बड़ी बुरी आदतें ,कितना और कितनों का नुकसान करतीं होंगी ?
मेहनत करने वालों को ही भगवान की रहमत मिलती है ।
सिर्फ भारत में ही देश को माता के नाम से पुकारा जाता है ।
स्वतंत्रता तो अच्छी, पर स्वच्छन्दता नहीं ।
खाते देश का हैं, खाते विदेश में खोलते हैं ।
जैन धर्म के अनुसार इसके दो महत्व हैं ।
1. सांसारिक – स्त्री के बचपन में पिता संरक्षण देता है, युवावस्था में पति तथा वृद्धावस्था में बच्चे संरक्षण देते हैं ।
लेकिन भाई अपनी बहन को तीनों अवस्थाओं में संरक्षण देता है ।
2. धर्म के क्षेत्र में यह श्रमण (साधू) और श्रावकों (गृहस्थों) के प्रेम तथा संरक्षण का त्यौहार है ।श्रावक अपनी सांसारिक उपलब्धियों से साधु तथा धर्म की रक्षा करता है,वहीं साधु धर्म के द्वारा श्रावकों की रक्षा करते हैं।
मुनि श्री सौरभसागर जी
सत्ता का उपयोग सस्ते में मत गंवा देना ।
चिंतन
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