The single finger which wipes out tears during our failure is much better than the 10 fingers which comes together to clap for our victory.

(Mr. Asheesh Mani Jain)

हम सब पाँच गेंदों को हवा में उछाल उछाल कर खेल रहे हैं ।
इन गेंदों के नाम हैं – व्यवसाय, परिवार, स्वास्थ, मित्र और नैतिकता ।
व्यवसाय की गेंद तो रबड़ की है, गिर भी गयी तो फिर उछल कर हाथ में आ जायेगी ।
पर बाकी चारौं गेंदें, काँच की हैं – एक बार हाथ से छूटीं तो टूट जायेगीं, फिर जुड़ नहीं पायेंगी ।
व्यवसाय/नौकरी के लिये बाकी चारौं को टूटने मत देना ।

वैभव और सफलता, मेहनत और ज्ञान से ही नहीं मिलती,
वरना मज़दूर और पंड़ितों के पास होतीं ।
इनके मिलने का मुख्य कारण है – पुण्य

मुनि श्री तरुणसागर जी

( ये अलग बात है कि आज का पुण्य, पिछ्ले पुरूषार्थ का ही फल है )

बुद्धू राजकुमारों को पढ़ाने के लिये पंचतंत्र की कहानियों की रचना की गयी थी ।
हमको पढ़ाने के लिये महाभारत, रामायण आदि प्रथमानुयोग के ग्रंथ लिखे गए।
क्योंकि हम भी राजकुमारों जैसे बुद्धू ही हैं, जानते हुये भी कि संसार दु:ख का कारण है, उसे बढ़ाते ही जाते हैं ।

चिंतन

जानवरों की सामर्थ्य मुँह से भोजन करने की है,
और मनुष्य की सामर्थ्य हाथों से ।
मनुष्य होकर भी यदि कोई सीधा मुँह से ही भोजन करे तो क्या यह उचित होगा ?

श्री लालमणी भाई

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