ज्ञानी सोचता है कि उपसर्ग से कर्म जल्दी कट जायेंगे,
उपसर्ग/प्रश्न पत्र देने वाला कोई भी हो, परीक्षा तो आपको ही देनी होगी।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

एक दिन युधिष्ठर जब राज्यसभा विसर्जित कर रहे थे, तब एक याचक आ गया ।
युधिष्ठर – कल आना, आज तो राज्यसभा विसर्जित हो रही है ।
भीम ने विजय-घोष के नगाडे बजवा दिये ।
युधिष्ठर ने आश्चर्य से पूछा- ये नगाडे क्यों बजाये गये ?
भीम – आपने मृत्यु को जीत लिया है इसलिये ये विजय-घोष हो रहा है । कल तक आप जिंदा रहेंगे, यह विश्वास, मृत्यु पर जीत नहीं तो क्या है ?
युधिष्ठर ने तुरन्त याचक को बुलाकर उसे मुँह मांगा दान दे दिया ।

जो दूसरों को बड़ा मानते हैं और अपने को छोटा मानकर हीन समझते हैं,
वे उतने ही दोषी हैं, जितने वे लोग-                                                                                                           जो दूसरों को छोटा मानकर हीन समझते हैं और अपने को बड़ा मानते हैं।

तुम्हारा जीवन एक उपहार है और तुम इस उपहार के आवरण को खोलने के लिए आए हो।
तुम्हारे वातावरण, परिस्थितयां और शरीर आवरण के कागज हैं।

प्रायः अनावरण करते समय हम कागजों को फाड़ देते हैं,
कभी-कभी हम इतनी जल्दी में होते हैं कि हम उपहार (आत्मा) को भी नष्ट कर देते हैं।

धैर्य और सहनशीलता के साथ उपहारों को खोलो और आवरण को बचाकर रखो।

(धर्मेंद्र)

सोना जलता नहीं, अशुद्धि ही जलती है,
पर अशुद्धि के सम्पर्क में आकर सोने को भी तपना पड़ता है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

गुरू के पास पहली बार एक विदेशी पहुँचे जिनको अध्यात्म में बहुत रुचि थी, गुरू से बहुत प्रभावित भी हुए ।
थोड़ी देर में गुरू के बहुत सारे शिष्य आपस में बुरी तरह झगड़ने लगे।
विदेशी बहुत दुखी हुए और वापिस जाने का निर्णय ले लिया।

गुरू – किसी का बाह्य रूप देखकर उसके बारे में कभी विचारधारा मत बना लेना।
आज आप उससे आगे हैं, पता नहीं कल आप यहीं खड़े रहें और वो आपसे बहुत आगे निकल जाए या आप कल को उससे बहुत नीचे चले जाएँ ।
(इस सूत्र को मानने से, आज वे शिष्य ’’हरे राम हरे कृष्ण’’ सम्प्रदाय के प्रधान हैं)

श्री आर.एन.सिंह

तुमने गाली क्यों दी ?
उसने पहले मुझे गाली दी, इसलिये मैंने उसे दी।

जिनकी पाचन शक्ति कमज़ोर होती है वे अपशब्दों का प्रयोग करते हैं ।
क्या दूसरे को उल्टी करते हुये देखकर आप भी उल्टी करोगे?
अपनी पाचन शक्ति को बढ़ाना होगा।

आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी

Name – भविष्य में होता है (प्रायः मरने के बाद),
Fame –  वर्तमान में होता है।

(Name का क्या महत्व ? तब तक तो आप अगला जन्म ले चुके होते हैं ।
वर्तमान की Fame में भी चापलूस लोग ही वाह वाह करते हैं बाकि सब तो ईर्षा ही करेंगे, तो इसका भी कुछ फ़ायदा नहीं है )

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728