क्रोध की गाड़ी हमेशा ढ़लान पर चलती है।
(पति का क्रोध पत्नी पर, पत्नी का नौकरानी पर आदि)

सम्यग्दर्शन पेज 346

कैरम के खेल में अच्छा खिलाड़ी एक गोटी लेते समय यह ध्यान रखता है कि
अपनी तो अगली गोटी बन
जाऐ/ अच्छी Positon में आ जाऐ और दूसरे खिलाड़ी की बिगड़ जाए ।

हम भी यह संसारी खेल ऐसा ही खेलें –
अपनी गोटी ले लें याने वर्तमान का तो काम हो जाए और अगले जन्म रूपी गोटी बन जाए / अगला जन्म भी अच्छा हो जाए,
और पापकर्म रूपी गोटियों की Positon बिगड़ जाए ।

चिंतन

पूजा आदि धार्मिक कार्यों के लिये ‘निपटाना’ शब्द का प्रयोग अटपटा लगता है, लेकिन सांसारिक कामों के लिये आम तौर पर प्रयोग क्यों होता है ?

संसार के कामों को तो हम समाप्त करना चाहते हैं,
पर धार्मिक क्रियाओं को नहीं।

चिंतन

फ़कीर से एक राजा प्रभावित हो गया। अपने महल में रहने की प्रार्थना की ।
फ़कीर ने दो शर्तें लगायीं :-

  1. मैं जब सोऊँ, तो तुम्हें जागना होगा ।
  2. मैं जहाँ – जहाँ जाऊँ, वहाँ – वहाँ तुम्हें मेरे साथ चलना पड़ेगा।

राजा – मैं राज-काज छोड़कर, आपके साथ कैसे रह सकूंगा  ?
फ़कीर – मेरा भगवान तो हमेशा ऐसा ही करता है, फिर उसे छोड़कर मैं तुम्हारे साथ क्यों आऊँ ?

जो हमारी ओर देखता है, हम उसकी ओर नहीं देखते,
जो हमारी ओर नहीं देखते, हम उनकी ओर ही देखते हैं।

आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी

जब गाड़ी Smooth दौड़ रही हो, उस समय यदि उसकी Maintenance और उसके Mechanic (भगवान) का ध्यान आ जाये तो बुद्धिमानी है।

जब गाड़ी हिचकोले खाने लगती है, तब तो सबको ही Maintenance / Mechanic की याद आती है।

याद रहे कभी-कभी गाड़ी बेवक्त भी फंस जाती है,
उस समय Repair कराना, Too late भी हो सकता है।

चिंतन

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