औरों के घर की धूप उसे क्यों पसंद हो,
देख ली हो रोशनी जिसने अपने मकान की ।……….(भव्य)
या
बेच दी हो रोशनी जिसने अपने मकान की ।………..(अभव्य)
बादल के ऊपर पहुंच जाओ तो पानी, बिजली का ड़र नहीं रहता।
The BASIC Difference Between GOD & HUMAN Is –
GOD – Gives, Gives, Gives & FORGIVES
However
HUMAN – Gets, Gets, Gets & FORGETS.
(Dr. Sudheer)
मान-थोड़े समय के लिये घमंड़ ।
मद-लम्बे समय के लिये घमंड़ ।।
—मद मदिरा बन जाता है, इतराना शुरू हो जाता है।
चिंतन
दीपक बुझाना नहीं है,
जले हुऐ दीपक का महत्त्व समाप्त हो जाता है क्योंकि सवेरा हो गया है।
श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर
पूजा आदि धार्मिक कार्यों के लिये ‘निपटाना’ शब्द का प्रयोग अटपटा लगता है, लेकिन सांसारिक कामों के लिये आम तौर पर प्रयोग क्यों होता है ?
संसार के कामों को तो हम समाप्त करना चाहते हैं,
पर धार्मिक क्रियाओं को नहीं।
चिंतन
बड़ों का बड़प्पन इसी में है कि वे छोटों को छोटा न समझें।
चिंतन
23rd March is the Martyrs Day when our heroes BHAGAT SINGH, SUKHDEV & RAJGURU were hanged to death 80 years back in 1931.
Mother India needs such Heroes in today’s time.
If the looser keeps his smile, the winner will loose the thrill of victory.
(Mr. Dharmendra)
फ़कीर से एक राजा प्रभावित हो गया। अपने महल में रहने की प्रार्थना की ।
फ़कीर ने दो शर्तें लगायीं :-
- मैं जब सोऊँ, तो तुम्हें जागना होगा ।
- मैं जहाँ – जहाँ जाऊँ, वहाँ – वहाँ तुम्हें मेरे साथ चलना पड़ेगा।
राजा – मैं राज-काज छोड़कर, आपके साथ कैसे रह सकूंगा ?
फ़कीर – मेरा भगवान तो हमेशा ऐसा ही करता है, फिर उसे छोड़कर मैं तुम्हारे साथ क्यों आऊँ ?
जो हमारी ओर देखता है, हम उसकी ओर नहीं देखते,
जो हमारी ओर नहीं देखते, हम उनकी ओर ही देखते हैं।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी
जब गाड़ी Smooth दौड़ रही हो, उस समय यदि उसकी Maintenance और उसके Mechanic (भगवान) का ध्यान आ जाये तो बुद्धिमानी है।
जब गाड़ी हिचकोले खाने लगती है, तब तो सबको ही Maintenance / Mechanic की याद आती है।
याद रहे – कभी-कभी गाड़ी बेवक्त भी फंस जाती है,
उस समय Repair कराना, Too late भी हो सकता है।
चिंतन
- अभिमान – कोई जब तक बहुत आग्रह/इज़्ज़त से खाने पर नहीं बुलाये, तो हम नहीं जायेंगे ।
- स्वाभिमान – खाने पर गये, देखा उन्हें कष्ट हो रहा है तो आगे से उनके यहां न जाने का निश्चय कर लिया ।
- निरभिमान – पहली बार इज़्ज़त से नहीं खिलाया था, पर अब ढ़ंग से बुला रहे हैं तो दुबारा खाना खाने चले जायेंगे ।
मुनि श्री क्षमासागर जी
कुछ लोग कहते हैं कि मैं बुरा हूँ,
कुछ कहते हैं कि मैं अच्छा/देवता हूँ,
बाकी कहते हैं कि मैं साधारण/मनुष्य हूँ ।
आखिर मैं कैसा हूँ ?
- कुछ अच्छा हूँ – तो, अच्छाई देखूँ, उसे बढ़ाऊँ और घमण्ड न आने दूँ ।
- कुछ बुरा हूँ – तो, अपनी बुराईयाँ देखूँ, उन्हें घटाऊँ और किसी के बुराई बताने पर बुरा न मानूँ।
- बाकी साधारण हूँ – तो, उसे Maintain करूँ ।
चिंतन
करैया गाँव के बौहरे जी की हवेली मंदिर के सामने थी । उनका वैभव और यश चरम सीमा पर था, लोग अच्छा काम करने जाने से पहले उनका आशीर्वाद लेने आते थे।
कुछ दिनों बाद बौहरे जी अपनी बालकनी में बैठकर इतनी जोर से मंदिर की ओर मुँह करके कुल्ला करते थे कि उसके छींटें मंदिर तक जायें।
थोड़े दिनों बाद उनके हाथ पैर गलने लगे, शरीर से बदबू आने लगी। लोग अच्छा काम करने जाने से पहले यह ध्यान रखने लगे कि कहीं उनका मुँह न दिखाई दे जाये। आज उनकी हवेली खंड़हर पड़ी है। बच्चे खेलने जाते हैं तो उन्हें सिक्के मिल जाते हैं, पर घर वाले उस पैसे को वहीं वापिस फिकवा देते हैं क्योंकि वह ऐसे अभागे आदमी का पैसा घर में रखना भी पसन्द नहीं करते हैं ।
श्री लालमणी भाई
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