• अभिमान – कोई जब तक बहुत आग्रह/इज़्ज़त से खाने पर नहीं बुलाये, तो हम नहीं जायेंगे ।
  • स्वाभिमान – खाने पर गये, देखा उन्हें कष्ट हो रहा है तो आगे से उनके यहां न जाने का निश्चय कर लिया ।
  • निरभिमान – पहली बार इज़्ज़त से नहीं खिलाया था, पर अब ढ़ंग से बुला रहे हैं तो दुबारा खाना खाने चले जायेंगे ।

मुनि श्री क्षमासागर जी

कुछ लोग कहते हैं कि मैं बुरा हूँ,
कुछ कहते हैं कि मैं अच्छा/देवता हूँ,
बाकी कहते हैं कि मैं साधारण/मनुष्य हूँ ।

आखिर मैं कैसा हूँ ?

  • कुछ अच्छा हूँ –  तो,  अच्छाई देखूँ, उसे बढ़ाऊँ और घमण्ड न आने दूँ ।
  • कुछ बुरा हूँ –  तो,  अपनी  बुराईयाँ देखूँ, उन्हें घटाऊँ और किसी के  बुराई बताने पर बुरा न मानूँ।
  • बाकी साधारण हूँ – तो,  उसे Maintain करूँ ।

चिंतन

करैया गाँव के बौहरे जी की हवेली मंदिर के सामने थी । उनका वैभव और यश चरम सीमा पर था, लोग अच्छा काम करने जाने से पहले उनका आशीर्वाद लेने आते थे।
कुछ दिनों बाद बौहरे जी अपनी बालकनी में बैठकर इतनी जोर से मंदिर की ओर मुँह करके कुल्ला करते थे कि उसके छींटें मंदिर तक जायें।

थोड़े दिनों बाद उनके हाथ पैर गलने लगे, शरीर से बदबू आने लगी। लोग अच्छा काम करने जाने से पहले यह ध्यान रखने लगे कि कहीं उनका मुँह न दिखाई दे जाये। आज उनकी हवेली खंड़हर पड़ी है। बच्चे खेलने जाते हैं तो उन्हें सिक्के मिल जाते हैं, पर घर वाले उस पैसे को वहीं वापिस फिकवा देते हैं क्योंकि वह ऐसे अभागे आदमी का पैसा घर में रखना भी पसन्द नहीं करते हैं ।

श्री लालमणी भाई

दो बच्चे गुब्बारे फुला रहे थे ।
पहले ने कहा – मेरा गुब्बारा ज्यादा फूला है,
दूसरे ने अपना गुब्बारा और फुलाया,
उसे देख, पहले ने अपना और फुलाया,
दौनों के गुब्बारे फूट गये, दौनों रोने लगे।

प्रतिस्पर्धा में तो दौनों ही पक्ष  घाटे में रहते हैं ।

चिंतन

ज्ञान जानकारी के लिये होता है, उसका प्रयोग अनिवार्य नहीं होता ।
आइन्सटिन के Atomic Energy के ज्ञान से Atom Bomb के प्रयोग ने संसार को विघ्वंस के द्वार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

लालमणी भाई ने सूद पर पैसे देने का काम जब बन्द किया, उस समय 384 लोगों से कर्ज़ा वापिस लेना था।

जो जितना दे सका उससे उतना लेकर Cases बन्द कर रहे थे ताकि उसके प्रति कषाय का भाव न रहे। आखिरी के जब 23 Case बचे तो उन्होंने अपने २० वर्षीय नाती मंकू से कहा कि, ये स्थाई आमदनी का साधन है और ये लोग बहुत कम पैसा वापस देने की स्थिति में हैं, इन Cases को तुम बाद में देखते रहना।
मंकू ने कहा – नहीं, ये लोग जितना भी पैसा दे रहे हैं उनसे लेकर Cases को समाप्त कर दो वरना ये मरते समय दुःखी होकर जायेंगे कि हम कर्ज़ा उतार नहीं पाये।

असली फूलों के गुलदस्ते में से यदि एक फूल निकालकर नकली फूलों के गुलदस्ते में लगा दें और एक नकली फूल निकालकर असली गुलदस्ते में,
तो उस एक नकली फूल को सब असली समझने लगेंगे और असली फूल को नकली ।

चिंतन

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