अनहोनी को टाल नहीं सकते, संभाल सकते हैं ।
(कर्म तो उदय में आएगा ही, अपने Reactions को अच्छा बुरा कर सकते हो )
कर्म तो रस्सी हैं ,
या तो काट लो,
या बांध लो ।
(कटेंगे नहीं तो गले का फंदा बनते जायेंगे)
चिंतन
True guidance is like a small lamp in a dark forest.
It doesn’t show everything at once.
But it gives enough light for the next step to be safe.
(Shri R. B. Garg)
दो लात मारे वह दौलत ।
जब दौलत आती है तब सीने पर लात मारती है, सीना फूल जाता है ।
जब जाती है तब पीठ पर लात मारती है, कमर झुक जाती है ।
मुनिश्री क्षमा सागर जी
जो हित सहित हो ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
गृहस्थी में चाहकर भी बहुत सी पाप क्रियाओं से बच नहीं पाते,
साधुजन अनचाहे भी बहुत सी पाप क्रियाओं से बचे रहते हैं ।
चिंतन
Let us have celebration of liberation from weakneses.
To have good relations with all, we should keep our nature like a theater screen.
It accepts all characters but remains peacefully white.
(Mr. Mehul)
दूसरों के दु:ख में साझेदारी करें,
अपने दु:ख में साहस रखें ।
(श्री सुनील)
चींटी चावल ले चली, बीच में मिल गयी दाल ।
कहि कबीर दोऊ ना चलें, एक लै दूजी ड़ार ।।
When one door of happiness closes, another opens;
but often we look so long at the closed door that we do not see the one that has been opened for us…….
(Shri R. B. Garg)
एक हिलते हुये जीर्णशीर्ण पुल पर एक भक्त ड़रता हुआ जा रहा था । दूसरी ओर देखा देव खड़े हैं । उसने सहायता के लिये देव को बुलाया पर वे आए नहीं और वहीं खड़े रहे । बड़ी मुश्किल से वह भक्त दूसरे किनारे पर पहुंचा और वहाँ जाकर देव से शिकायत की – आप मेरी सहायता के लिये आए क्यों नहीं ?
देव – ये पुल टूट गया था इसलिये मैं उसे पकड़े हुये खड़ा था ।
(श्री आर. बी. गर्ग)
हम हर छोटी छोटी मुसीबत के लिये अपने दैव/भाग्य को कोसते रहते हैं,
दैव/भाग्य से हमें कितनी बड़ी बड़ी चीजें मिली हैं उन पर ध्यान नहीं देते ।
धन दौलत की दरिद्रता से तो छोटी मोटी गिरावट आ सकती है,
पर मानसिक दरिद्रता, दरिंदता की ओर ले जाती है ।
(यानि दरिंदा बना देती है )
(कु. अनुपमा)
A person who walk with his legs reaches his destination,
But
A person who walks with his brain, reach his destiny.
(Shri R.B. Garg)
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