आपे से बाहर होना,
अपने स्वभाव से बाहर होना ।
मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो अधूरा पैदा होता है,
फिर सम्पूर्णता के लिये पुरूषार्थ करके पूर्णता पाता है ।
अब्राहम लिंकन ( अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ) छोटे से छोटे व्यक्ति के अभिवादन का ज़बाब Hat उतारकर बड़ी विनम्रता से देते थे ।
उनके मित्रों ने कहा – राष्ट्रपति होकर आपको हर किसी के लिये झुकना नहीं चाहिए ।
लिंकन – बड़े तो अपने गुणों से बनते हैं और विनय बहुत बड़ा तथा आवश्यक गुण है ।
यदि मैं राष्ट्रपति हूँ, बड़ा हूँ तब मुझमें विनय एक साधारण नागरिक से अधिक होनी चाहिए ।
दृष्टि यदि सही हो तो, संसार की कोई भी वस्तु खोने पर हम कुछ भी नहीं ‘खोते’,
बल्कि शांति, आनंद और सुकून ‘पाते’ हैं,
क्योंकि हमारा मोह/ Attachment, परिग्रह कम होता है, मन में उदारता आती है ।
चिन्तन-श्रीमति निधी
सारी उंगलियां एक बराबर नहीं होतीं,
पर जब वे झुक/मुड़ जातीं हैं तब सब बराबर हो जातीं हैं ।
(श्री मेहुल)
Faith is a small word but has supreme implication.
The problem with many is that they have doubt in their faith and having faith in their doubt.
( Dr.Abhay & Mona )
One thing which you waste and cannot get back is the wasted time.
( Sri. R B Garg)
निर्वाण और निर्माण दौनों में ही ईंट पत्थर जमा किये जाते हैं ।
निर्माण में अधिक से अधिक जगह को चारों ओर से घेरा जाता है, खुले आकाश को चुराया जाता है ।
निर्वाण में भी गुणों के ईंट पत्थर जमा करके वेदी बनती है, ऊंचाईयां पाई जाती हैं, पर कम से कम जगह पर बैठा जाता है, अपना भी दूसरों को दे दिया जाता है ।
निर्माण में दोष है, तभी तो वास्तु की पूजा करके उसकी शुद्धि की जाती है,
निर्वाण में दोष दूर किये जाते हैं, तभी तो सब उनकी पूजा करते हैं ।
वेदी पर भी भगवान बिना Touch किये ऊंचाई पर बैठते हैं और अंत में सबसे ऊंची जगह सिद्धालय/मोक्ष पहुंच जाते हैं ।
वहाँ पहुंच कर तो शरीर के बराबर जगह भी उनकी अपनी नहीं होती है, सारा आकाश सबका होता है, सबको अपने में समाहित करने की भावना होती है, किसी को अपने आश्रित करने का भाव नहीं होता है ।
जो इस भावना वाले हैं वो निर्वाण की ओर बढ़ रहे हैं ।
जो इस भावना के नहीं हैं वे निर्माण की ओर, अपने चारों ओर कर्मों की घेराबंदी कर रहे हैं ।
ऐसी ही निर्वाण की प्रक्रिया करके महावीर भगवान आज अमावस्या के दिन मोक्ष पधारे थे ।
चिंतन
विजय के बाद अपने घर की वापसी के महोत्सव को श्री राम और महावीर भगवान की तरह हम भी अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त करके, उल्लास के साथ मनायें ।
दीपमालिका सबके जीवन में शांति और आनंद का प्रकाश भर दे ।
चिंतन
क्या आप करोड़ों इंसानों को आग में जला कर तड़पा-तड़पा कर मारना चाहेंगे ?
नहीं ना ।
तो आप उन करोड़ों जीवों को क्यों नहीं महसूस करते जो इस दिवाली पर आपके द्वारा मारे जायेंगे ?
जीव सब समान हैं, बस रूप अलग अलग हैं ।
पटाखों का इस्तेमाल ना करें, इनसे वायु तथा ध्वनि प्रदूषण भी बहुत फैलता है ।
जियो और जीने दो !
(श्री आशीष मणी जैन)
कमजोर आदमी को गर्म हवा में लू लग जाती है,
ठंड़ी हवा में ज़ुकाम ।
जो निंदा सुनकर नाराज़ और प्रशंसा से फूल जाते हैं वे भी कमज़ोर हैं ।
Attachment to wrong image of myself.
क्रोध करना हमारी मज़बूरी नहीं, कमज़ोरी है ।
हीनता का भाव भी अहंकार पैदा करता है ।
दूसरे के सम्मान में अपना अपमान मानना भी अहंकार है ।
मुनि श्री क्षमासागर जी
Pages
CATEGORIES
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत – अन्य
- प्रश्न-उत्तर
- पहला कदम
- डायरी
- चिंतन
- आध्यात्मिक भजन
- अगला-कदम
Categories
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- Uncategorized
- अगला-कदम
- आध्यात्मिक भजन
- गुरु
- गुरु
- चिंतन
- डायरी
- पहला कदम
- प्रश्न-उत्तर
- वचनामृत – अन्य
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
Recent Comments