Treat everyone with LOVE,
Even those who are rude to you,
Not because they are not nice,
But because you are nice.

(Ku. Pranshi)

एक बूढ़ी अम्मा की सुई, सिलाई करते हुये अंधेरे कमरे में कहीं खो गयी ।
वह बाहर Street Light में जाकर सुई ढ़ूंढ़ने लगी ।
सब लोग भी उसके साथ ढ़ूंढ़ने लगे ।
किसी ने पूछा कि सुई खोई कहां थी ?
कमरे में ।
तो बाहर क्यों ढ़ूंढ़ रही हो ?
क्योंकि कमरे में Light नहीं है, बाहर Light है ।

क्या हम सब खुशियाँ बाहर नहीं ढ़ूंढ़ रहे हैं ?
जबकि खुशियाँ अंदर ही हैं ।

रिश्ते और रास्ते एक सिक्के के दो पहलू हैं ।

कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते बदल जाते हैं,
कभी रास्ते पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं ।

(श्रीमति उदया)

गांधी जी एक बच्चे के साथ भोजन कर रहे थे ।
बच्चे ने थाली में भोजन छोड़ दिया ।
गांधी जी ने उसकी थाली में से बचा हुआ भोजन खा लिया ।
गांधी जी ने पूछने पर बताया कि मैं झूठा भोजन तो पचा सकता हूँ, पर झूठ नहीं ।

वृक्ष बार बार फल देते हैं,
दान भी बार बार देना चाहिये, जो व्यवहार है ।

व्यवहार बताता है, निश्चय गूंगा होता है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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