God

Read this slowly –

‘GODISNOWHERE’

What did you read ?

God is no where,
Or
God is now here !

Just a beautiful line to say – “Life depends on the way we look”.

(Mrs. Apoorva)

एक बूढ़ी अम्मा की सुई, सिलाई करते हुये अंधेरे कमरे में कहीं खो गयी ।
वह बाहर Street Light में जाकर सुई ढ़ूंढ़ने लगी ।
सब लोग भी उसके साथ ढ़ूंढ़ने लगे ।
किसी ने पूछा कि सुई खोई कहां थी ?
कमरे में ।
तो बाहर क्यों ढ़ूंढ़ रही हो ?
क्योंकि कमरे में Light नहीं है, बाहर Light है ।

क्या हम सब खुशियाँ बाहर नहीं ढ़ूंढ़ रहे हैं ?
जबकि खुशियाँ अंदर ही हैं ।

रिश्ते और रास्ते एक सिक्के के दो पहलू हैं ।

कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते बदल जाते हैं,
कभी रास्ते पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं ।

(श्रीमति उदया)

गांधी जी एक बच्चे के साथ भोजन कर रहे थे ।
बच्चे ने थाली में भोजन छोड़ दिया ।
गांधी जी ने उसकी थाली में से बचा हुआ भोजन खा लिया ।
गांधी जी ने पूछने पर बताया कि मैं झूठा भोजन तो पचा सकता हूँ, पर झूठ नहीं ।

वृक्ष बार बार फल देते हैं,
दान भी बार बार देना चाहिये, जो व्यवहार है ।

व्यवहार बताता है, निश्चय गूंगा होता है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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April 8, 2022

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