ज्ञान बंध का कारण नहीं, यदि मान आजाये तो वह बंध का कारण है ,
जैसे दूध में यदि विष मिल जाये तो वह विष मरण का कारण है ।
5 इन्द्रियाँ आपकी सेवक हैं, यदि आपने उन्हें सिर पर रक्खा है तो आगे चलकर वे आपकी मालिक बन जायेंगी ।
यदि उन्हें सेवक की ही तरह Treat किया तो वे बुढ़ापे तक आपकी सेवा करेंगी।
चिंतन
एक मालिक रोज चुटकुला सुनाता था,
और सब Employees जोर जोर से हंसते थे,
एक दिन एक Employee नहीं हंसा,
कारण बताया – मैं नौकरी छोड़ रहा हूँ ।
यदि संसार छोड़ना है तो किस किस के मुताबिक हंसे और किस किस के लिये रोयें ।
मुनि श्री क्षमासागर जी
संकल्प करें,
विकल्प ना रखें ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
( संकल्प में भी विकल्प ना करें )
वक्त पर जो भक्त बनता है, वो विभक्त होता है ।
मुनि श्री योगसागर जी
“If friendship is your weakest point,
then you are the strongest person in the world”…..
Mr. Abraham Lincoln
Faith in God won’t make the mountain smaller, but make climbing easy.
दमोह की एक व्रती ने बुराई ना करने का नियम ले लिया, पर बहू विपरीत स्वभाव की आई, दिमाग की नस फट गई,
संहनन कम था।
नियम संहनन के अनुरूप ही लेने चाहिये।
बाई जी
दर्पण में साफ देखना चाहते हो तो :-
- उसे साफ रखना होगा यानि व्यसन रहित ।
- स्थिर रहे यानि कषाय रहित ।
- अनावरित रहे यानि ज्ञान आवरण रहित हो ।
- देखने वाले कि आखें हो यानि वीतरागता/समता हो ।
- प्रयास करें यानि चारित्रवान हो ।
मौन रखना भी सत्य बोलना है – कम से कम खाते समय तो मौन रहें।
मुनि श्री आर्जवसागर जी
Patience with friends is love,
Patience with others is respect,
Patience with self is confidence,
Patience with God is faith.
(Dr P.N.Jain)
करैया गांव में पंचकल्याणक हुआ । लालमणी भाई उस समय 10 वर्ष के थे और जलूस में हाथी पर बैठने की जिद करने लगे । हाथी पर बैठने के लिये 1000 रू. जमा कराया जा रहा था, जो उनकी दादी के पास नहीं थे फिर भी दादी ने 100 रू. दान दिये ।
पंचकल्याणक किसी वजह से रद्द हो गया और सबके पैसे वापिस कर दिये गये पर दादी ने 100 रू. वापिस नहीं लिये जबकि 1000 रू. वालों ने अपने पैसे वापिस ले लिये ।
दादी का कहना था कि आज मैं 1000 रू. दान नहीं कर पाई पर मुझे विश्वास है कि, ये 100, 100 रू. दान करते हुये जिस दिन 1000 रू. हो जायेंगे उस दिन मेरा नाती हाथी पर जरूर बैठेगा ।
जिन लोगों ने 1000 रू. वापिस ले लिये थे वे आज तक हाथी पर नहीं बैठ पाये और दादी का नाती बार-बार हाथी पर बैठा ।
श्री लालमणी भाई
आजकल आत्मा दुर्बल होती जा रही है,
क्योंकि उसका भोजन उसे नहीं मिल रहा है ।
क्षु. श्री गणेश वर्णी जी
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