बिना कुछ दिये/ किये –
रक्त दान – मीठे बोल से रक्त बढ़ना।
श्रम दान – पीठ थपथपाने से थकान उतरना।
अन्न दान – थाली में अन्न न बिगाड़ना।
(सुरेश)
सेवा…..
1. मन मिलाने का/ वात्सल्य पाने का उपाय है
2. कर्तव्यनिष्ठा है
3. दूसरों की सेवा, अपनी वेदना मिटाती है
4. नम्रता व प्रिय वचनों से दूसरों के रोग तक दूर हो जाते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
शांति की इच्छा मत करो, इच्छाओं को शांत करो।
चाह ज़र* से लगी, जी ज़रा हो गया,
चाह हरि से लगी, जी हरा हो गया।
चाह पूरी हो जाय तो वाह,
चाह पूरी न हो तो आह।।
पर वाह कितनी देर की ?
‘वाह’ को उल्टा करें तो ‘हवा’।
* स्वर्ण/ सम्पत्ति
पशु के भय, आहार, मैथुन प्रकट होते हैं यानि कहीं भी/ कभी भी।
विडम्बना यह है कि मनुष्य भी आज यही कर रहा है। उन्हीं की तरह पाप करने में संकोच नहीं करता।
डारविन ने तो कहा था कि मनुष्य पशु से बना है पर आज दिख रहा है कि मनुष्य पशुता की ओर बढ़ रहा है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
एक छोटी बच्ची रो रही थी। लेखक के कारण पूछने पर पता लगा कि उसकी गुड़िया खो गयी है। लेखक ने दूसरी गुड़िया खरीद कर दी, पर उसे तो वही गुड़िया चाहिये थी।
अगले दिन लेखक गुड़िया की तरफ से एक पत्र लिख कर लाया कि “मैं दुनिया की सैर करने निकल गयी हूँ, तुमको रोज पत्र लिखा करूंगी।” सिलसिला बहुत दिन चलता रहा।
आखिरी पत्र आया – “कल मैं लौट रही हूँ, पर इतने दिनों में मेरी शक्ल बदल गयी है, तुम पहचान लोगी?
लेखक ने नयी गुडिया खरीद कर बच्ची को दी और उसने खुशी-खुशी स्वीकार कर ली।
(अरविंद)
जीवन को आसान बनाने वाली तीन बातें,
जो हम बच्चों से सीख सकते हैं….
1) बेवजह ख़ुश रहना,
2) हर वक्त व्यस्त रहना,
3) मनचाही चीज़ न मिलने पर उसे भूल जाना…!!
(सुरेश)
A small dot can stop a big sentence.
But a few more dots can give a continuity.
Amazing but true !
Every ending can be a new beginning.
(इससे एकता तथा अनेकांत का महत्त्व भी पता लगता है)
(J.L.Jain)
कमला बाई जी के 92 वर्षीय पति ने विधान (बड़ी पूजा) पूरा किया।
उनसे पूछा….
क्या फल मिला ?
आप और बाई जी का शारीरिक कष्ट तो कम हुआ नहीं ??
फल तो कर्मों से ही मिलता है। पूजादि से तो आनंद मिलता है। कष्ट सहने की शक्ति आती है।
श्री दीनानाथजी (पति कमलाबाई जी)
दो टोकरी बेचने वाले → लड़का चौकोर व लड़की गोल टोकरी बेचते थे।
लड़का… अपन बदल कर लेते हैं।
अगले दिन लड़के ने कुछ चौकोर टोकरी छुपाकर रख लीं, बाकी लड़की को दे दीं। पर लड़के को रात में नींद नहीं आयी।
कारण →
1. कहीं मायाचारी पकड़ी न जाय
2. कहीं लड़की ने भी तो मेरी तरह गोल टोकरियाँ छुपा न लीं हों(जो ख़ुद मायाचारी करता है, वह औरौं को भी वैसा ही मानता है)।
(एकता-पुणे)
अगर आपकी आँखें यह देखने में खोयी रहेंगी कि…..
“क्या हो सकता था”,
तो वे कभी नहीं देख पायेंगी कि….
“क्या हो सकता है”।
अतीत के चश्मे को वर्तमान में प्रयोग करने के लिये Lens बदलवाने ही चाहिये।
(अनुपम चौधरी)
पेड़ पर क्षमता से अधिक फल लग जायें तो शाखायें टूटने लगती हैं। इंसान के पास ज़रूरत से ज्यादा वैभव हो जाये तब वह रिश्ते तोड़ने लगता है।
नतीजा !
आहिस्ता-आहिस्ता पेड़ फलों से तथा इंसान अपने रिश्तों से वंचित होता जाता है।
(सुरेश)
तू मेरा न बन सका, कोई बात नहीं;
कम से कम अपना तो बन जा।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
(अपना ही तो सब कुछ है, बाकी तो सपना है)
जब तक आपकी दृष्टि हमारे प्रति सही
तब तक ही हम सही………
(अनुपम चौधरी)
(तब तक ही आप भी सही)
………………………………………..
74वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
देश की स्वतंत्रता के साथ-साथ धर्म तथा आत्मा की स्वतंत्रता पर भी दृष्टि रहे।
Failing to plan is planning to fail.
( J. L. Jain)
Pages
CATEGORIES
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत – अन्य
- प्रश्न-उत्तर
- पहला कदम
- डायरी
- चिंतन
- आध्यात्मिक भजन
- अगला-कदम
Categories
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- Uncategorized
- अगला-कदम
- आध्यात्मिक भजन
- गुरु
- गुरु
- चिंतन
- डायरी
- पहला कदम
- प्रश्न-उत्तर
- वचनामृत – अन्य
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
Recent Comments