एक छोटी बच्ची रो रही थी। लेखक के कारण पूछने पर पता लगा कि उसकी गुड़िया खो गयी है। लेखक ने दूसरी गुड़िया खरीद कर दी, पर उसे तो वही गुड़िया चाहिये थी।
अगले दिन लेखक गुड़िया की तरफ से एक पत्र लिख कर लाया कि “मैं दुनिया की सैर करने निकल गयी हूँ, तुमको रोज पत्र लिखा करूंगी।” सिलसिला बहुत दिन चलता रहा।
आखिरी पत्र आया – “कल मैं लौट रही हूँ, पर इतने दिनों में मेरी शक्ल बदल गयी है, तुम पहचान लोगी?
लेखक ने नयी गुडिया खरीद कर बच्ची को दी और उसने खुशी-खुशी स्वीकार कर ली।

(अरविंद)

जीवन को आसान बनाने वाली तीन बातें,
जो हम बच्चों से सीख सकते हैं….
1) बेवजह ख़ुश रहना,
2) हर वक्त व्यस्त रहना,
3) मनचाही चीज़ न मिलने पर उसे भूल जाना…!!

(सुरेश)

कमला बाई जी के 92 वर्षीय पति ने विधान (बड़ी पूजा) पूरा किया।
उनसे पूछा….
क्या फल मिला ?
आप और बाई जी का शारीरिक कष्ट तो कम हुआ नहीं ??

फल तो कर्मों से ही मिलता है। पूजादि से तो आनंद मिलता है। कष्ट सहने की शक्ति आती है।

श्री दीनानाथजी (पति कमलाबाई जी)

दो टोकरी बेचने वाले → लड़‌का चौकोर व लड़की गोल टोकरी बेचते थे।
लड़का… अपन बदल कर लेते हैं।
अगले दिन लड़के ने कुछ चौकोर टोकरी छुपाकर रख लीं, बाकी लड़की को दे दीं। पर लड़के को रात में नींद नहीं आयी।
कारण →
1. कहीं मायाचारी पकड़ी न जाय
2. कहीं लड़की ने भी तो मेरी तरह गोल टोकरियाँ छुपा न लीं हों(जो ख़ुद मायाचारी करता है, वह औरौं को भी वैसा ही मानता है)।

(एकता-पुणे)

अगर आपकी आँखें यह देखने में खोयी रहेंगी कि…..
“क्या हो सकता था”,
तो वे कभी नहीं देख पायेंगी कि….
“क्या हो सकता है”।
अतीत के चश्मे को वर्तमान में प्रयोग करने के लिये Lens बदलवाने ही चाहिये।

(अनुपम चौधरी)

पेड़ पर क्षमता से अधिक फल लग जायें तो शाखायें टूटने लगती हैं। इंसान के पास ज़रूरत से ज्यादा वैभव हो जाये तब वह रिश्ते तोड़ने लगता है।
नतीजा !
आहिस्ता-आहिस्ता पेड़ फलों से तथा इंसान अपने रिश्तों से वंचित होता जाता है।

(सुरेश)

जब तक आपकी दृष्टि हमारे प्रति सही
तब तक ही हम सही………

(अनुपम चौधरी)

(तब तक ही आप भी सही)
………………………………………..

74वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
देश की स्वतंत्रता के साथ-साथ धर्म तथा आत्मा की स्वतंत्रता पर भी दृष्टि रहे।

बेल को सहारा मिलने पर ऊँचाइयाँ पा लेती है पर उस निमित्त से उतरती नहीं है।
सिर्फ मनुष्य ऐसा है जो निमित्त पाकर चढ़ता कम, उतरता ज्यादा है जैसे धन दौलत का दुरुपयोग।

चिंतन

किसी व्यक्ति को कुछ काम करने को कहा।
प्रतिक्रिया >>> मैं आपका नौकर नहीं हूँ।
काश ! यह सोच अपनी इंद्रियों के बारे में भी होता >>> कि मैं इंद्रियों का नौकर नहीं हूँ !!
तो अनंत काल से भटकते नहीं रहते। अनंतकाल के लिये आजाद हो गये होते।

(एन.सी.जैन- नोएडा)

जापान में कांच के कीमती बर्तन टूटने पर उसे सोने से जोड़ लेते हैं (Kintsugi Art द्वारा )तब बर्तन और सुंदर दिखने लगता है/ उसकी कीमत और बढ़ जाती है।
जीवन टूटने/ बिखरने पर अच्छी सोच से जोड़ कर ज्यादा खूबसूरत बनाया जा सकता है। ज़िंदगी का नया रूप पाने के लिये टूटना ज़रूरी है।

(अरविंद बड़जात्या)

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