अव्यवस्थित –

व्यवस्थित –

कौन सा पसंद आया ?
आप कौन से हैं ?

🍃🌸🍃🌸🍃🌸
मौत के डर से ही सही,…..
ज़िन्दगी को फुर्सत तो मिली…..
सड़कों को राहत…….
और घरों को रौनक तो मिली….
प्रकृति, तेरा रूठना भी ज़रूरी था…
इंसान का घमंड टूटना भी ज़रूरी था..
हर कोई ख़ुद को ख़ुदा समझ बैठा था..
ये शक दूर होना भी ज़रुरी था..!
🍃🌸🍃🌸🍃🌸

जानवर दूसरों के बच्चों का निवाला छीनकर अपने बच्चों को नहीं खिलाते। हिंसक जानवर भी एक जानवर को मार कर कई दिनों तक शिकार नहीं करते।

सिर्फ़ आदमी ज़िंदगी भर सुबह से शाम दूसरों का निवाला छीन-छीन कर अपना तथा अपने बच्चों का भरण-पोषण करता है।

चिंतन

भगवान को कर्ता मानने वाले कहते हैं – “ऊपर वाला पांसा फेंके, नीचे चलते दांव”,
कर्मों पर विश्वासी कहते हैं – “अंदर वाला पांसा फेंके, बाहर चलते दांव ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

हम भगवान के अंश नहीं हैं, ना ही भगवान के बाइ-प्राॅडक्ट हैं। बल्कि भगवान बनने का जो कच्चामाल होता है, वह हैं ।
बस, परिष्कार करना है, सांचे में ढालना है, ख़ुद भगवान बन जायेंगे ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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