Tag: धर्म

विज्ञान और धर्म

विज्ञान साधन देता है, धर्म साधना और साध्य । साधन, साध्य प्राप्त करने में सहायक की अहम भूमिका निभाता है । चिंतन

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Carefulness

JRD Tata had a friend who used to say that he misplaces and loses his pen very often. He will use only very cheap pens

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धन और धर्म

जिस पर धन हावी रहता है वो अधर्मी, जो धन पर हावी रहता है वो धर्मी ।

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आजकल धर्म

आज के युग में धर्म से ज्यादा, धैर्य कम हुआ है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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धर्म

प्रायः , धर्म याने अपना अपना काम, जैसे चोर चोरी को अपना धर्म कहता है। पर असली धर्म के माने हैं – जो अपना काम*

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धन/धर्म

धार्मिक क्रियाओं के लिये धन चाहिये, धन के लिये धार्मिक क्रियायें । पर स्व-धर्म के लिये धन की जरूरत नहीं है । मुनि श्री विश्रुतसागर

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धर्म/विज्ञान

धर्म द्वारा सिद्ध किए गए सिद्धांतों/कथनों को ही आज विज्ञान सिद्ध कर रहा है । मुनि श्री विश्रुतसागर जी

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धर्म

वस्तु का स्वभाव ही धर्म है । इस स्वभाव को पाने के लिये जो शुभ क्रियायें की जाती हैं वे भी धर्म हैं ।

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मंगल आशीष

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