Tag: धर्म

आस्था/धर्म

आस्था/धर्म ऐसा जुआ है जिसमें खोने को कुछ भी नहीं है पर जीत गये तो वारे न्यारे, Homeopathy दवा है जिसके side effect कुछ भी

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धर्म/विज्ञान

योग यानि जोड़, धर्म का पर्यायवाची है, धर्म संश्लेषणात्मक है, विज्ञान विश्लेषणात्मक (तोड़ता) है । ब्र. नीलेश भैया

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धर्म

आप पकावै, आपइ खावै, कभू नहीं अघावै । मुनि श्री सुधासागर जी

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धर्म/अधर्म

अधर्म तनाव पैदा करता है, धर्म नाव बनकर भवसागर पार करा देता है ।

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धर्म

पहाड़ों पर पानी दिखता नहीं है, पर सब मीठे पानी की नदियाँ वहीं से निकलती हैं । समुद्र में पानी ही पानी है पर प्यास

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धर्म

धर्म का सहारा लेकर हम मृत्यु से तो नहीं बच सकते, हाँ !  मृत्यु के भय से जरूर बच सकते हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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धर्म

कर्म मजबूर करते हैं, धर्म मजबूत करता है ।

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धर्म

धर्म जीवन नहीं देता है, जीने की कला देता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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धर्म

धर्म स्वर्ग पाने के लिये नहीं जीवन को स्वर्ग बनाने के लिये होता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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