Tag: धर्म

धर्म / शारीरिक कष्ट

क्या शरीर को कष्ट देकर धर्म करना सही है ? नहीं, धर्म से तो शारीरिक कष्ट सहने की शक्ति आती है । उस शक्ति को

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कर्म / धर्म

मुख्यत: कर्म से वैभव, धर्म से संतोष और शान्ति । सो अन्तरंग में धर्म रखकर कर्म करो, खटकर्म से दूर रहो ।

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धर्म

धर्म ना कुछ देता है, ना कुछ लेता है, बस मिलने/छिन जाने पर स्थिरता देता है ।

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धर्म और ज्ञान

धर्म से मन में दया बढ़ती है, ज्ञान से वैराग्य । दया आने से धर्म और बढ़ता है, वैराग्य से ज्ञान में वृद्धि होती है

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बच्चों का धर्म

पढ़ाई करते समय अधर्म(बुरी आदतें)ना करना धर्म है । मंदिर जाओ, गुरुओं के दर्शन करो (जब संभव हो) ।

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विज्ञान / धर्म

विज्ञान = बाह्य, सुविधा, संदेह से शुरू, धर्म =   अंतरंग, संतुष्टि, श्रद्धा से शुरू ।

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धन / धर्म

व्यक्ति की चाल…… धन से भी बदलती है, और धर्म से भी ! जब धन संपन्न होता है, तब अकड़ कर चलता है; और जब

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लाभ / धर्म

जंगल में दो मूर्तियाँ मिलें… एक राम की, पत्थर की, दूसरी रावण की, सोने की । कौनसी घर ले जाओगे ? 99% लाभ को प्रमुखता

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धन / धर्म

धन की रक्षा करनी पड़ती है, धर्म हमारी रक्षा करता है । धन के लिए पाप करना पड़ता है, धर्म में पाप का त्याग होता

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परिवार में धर्म

“बच्चे/पति धार्मिक नहीं हैं”, इसके लिये बहुत दुखी मत होना, संतुष्ट रहना, कि वे कम से कम अधार्मिक तो नहीं हैं ।

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मंगल आशीष

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