परोपकार
फूंक मार कर दिये को बुझा सकते हैं.!
किन्तु…
अगरबत्ती को नहीं…
क्योंकि
जो ख़ुद को जलाकर दूसरों को सुगंध का अनुभव कराता हो, उसे कोई बुझा नहीं सकता…!!
(मंजू)
फूंक मार कर दिये को बुझा सकते हैं.!
किन्तु…
अगरबत्ती को नहीं…
क्योंकि
जो ख़ुद को जलाकर दूसरों को सुगंध का अनुभव कराता हो, उसे कोई बुझा नहीं सकता…!!
(मंजू)
One Response
परोपकार उस अगरबत्ती की तरह है जो बुझ जाने के बाद भी खुशबु आती है। परोपकार करने वाले को कोई भुला नहीं सकता है। अतः उचित होगा कि परोपकार तो करना चाहिए भले ही धन से न कर सको लेकिन परोपकार की भावना होना चाहिए।