पाप/पुण्य फल
किसी का पुण्य प्रबल है तो आसपास के जीवों के पुण्य की उदीरणा में निमित्त बनता है, पाप पाप की उदीरणा में ।
ऐसे ही पुण्य पाप को दबाता है, पाप पुण्य को ।
किसी का पुण्य प्रबल है तो आसपास के जीवों के पुण्य की उदीरणा में निमित्त बनता है, पाप पाप की उदीरणा में ।
ऐसे ही पुण्य पाप को दबाता है, पाप पुण्य को ।