यात्रा
संसार तथा परमार्थ की यात्रायें, सूक्ष्म से शुरु होकर अंत भी सूक्ष्म पर ही समाप्त होती हैं ।
जन्म/मृत्यु (एक cell से राख),
सूक्ष्म निगोदिया (जीव/कीड़े) से मोक्ष (आत्मा) तक ।
चिंतन
संसार तथा परमार्थ की यात्रायें, सूक्ष्म से शुरु होकर अंत भी सूक्ष्म पर ही समाप्त होती हैं ।
जन्म/मृत्यु (एक cell से राख),
सूक्ष्म निगोदिया (जीव/कीड़े) से मोक्ष (आत्मा) तक ।
चिंतन
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार तथा परमार्थ की यात्रायें, सूक्ष्म से शुरू होकर अंत भी सूक्ष्म पर समाप्त होती है।
जन्म से मृत्यु तक, सूक्ष्म निगोदिया से मोक्ष यानी आत्मा तक की यात्रा होती है।
जीवन की यात्रा को धर्म से जुड़कर मोक्ष तक की यात्रा करने में समर्थ हो सकता है।