Category: अगला-कदम

केवलज्ञान

केवलज्ञान आत्मा की पर्याय नहीं है, ज्ञानगुण की पर्याय है । मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

क्षयोपशम सम्यग्दर्शन की स्थिति

क्षयोपशम सम्यग्दर्शन की उत्कृष्ट स्थिति 66 सागर से कुछ कम, क्योंकि आखिरी अंतर्मुहुर्त में या तो क्षायिक सम्यग्दर्शन प्राप्त करें अथवा पहले या दूसरे या

Read More »

आकिंचन्य

व्यवहार आकिंचन्य – अपने पास किंचित रखना (ताकि जीवन चल सके ) निश्चय आकिंचन्य – किंचित भी मेरा नहीं है । चिंतन

Read More »

पुद्गल का वर्ण

पुद्गल की स्वाभाविक परिणति (वर्ण) अंधकार है, प्रकाश तो नैमित्तिक है । मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

स्त्री-मुक्ति

स्त्री-मुक्ति का निषेध नहीं कहा बल्कि सावरण लिंग का निषेध है । पुरुष को भी सावरण लिंग सहित मुक्ति नहीं । जो हुआ नहीं/हो नहीं

Read More »

विग्रहगति

विग्रहगति में पर्याप्तक तथा अपर्याप्तक नामकर्म वाले जीवों के इन कर्मों का उदय नहीं होता है । जन्मस्थान पर पहुँच कर यथायोग्य नामकर्म का उदय

Read More »

परमाणु से स्कंध

1. परमाणुओं में बंध, उनमें स्निग्ध या रुक्ष गुणों के कारण होता है । 2. परमाणुओं के शक्त्यांशों में – I. 2 का अंतर होना

Read More »

हुंडावसर्पिणी

हुंडावसर्पिणी दस कोड़ाकोड़ी सागर का, यानि सुखमा-सुखमा से लेकर दुखमा-दुखमा तक होता है, चाहे 1, 2, 6ठे काल में इसका प्रभाव दिखे या न दिखे

Read More »

मतमतांतर

स्वयंम्भूरमण द्वीप में इतनी विशुद्धि कि स्वर्ग मुख्यरूप से वहीं से भरता है । जबकि वहाँ देव, शास्त्र, गुरु तथा आयतन भी नहीं हैं, फिर

Read More »

नय

व्यवहार नय – पिता/पुत्र की अपेक्षा, “पर” सापेक्ष, भेद रूप, दर्जी द्वारा कपड़े के टुकड़े करना, निश्चय तक पहुँचाता है । निश्चय नय – पिता/पुत्र

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

May 9, 2021

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031