Category: अगला-कदम

अनाचार

अचौर्य के अनाचार में – “साधर्माविसंवाद” का क्या आश्रय ? श्री पी.एल. बैनाड़ा जी साधर्मी की चीजों को छिपाना/मेरा तेरा कहना ।

Read More »

शक्ति

2 भेद हैं – क्षयोपशमिक – पहले गुणस्थान से बारहवें तक क्षायिक – तेरहवें गुणस्थान तथा आगे आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी

Read More »

निगोदिया

2 मत हैं – साधारण वनस्पति कायिक पर आ. श्री विद्यासागर जी की असहमति है… क्योंकि निगोदिया… • वनस्पति रूप नहीं हैं • योनियाँ भी

Read More »

समभाव

निगोदिया जीवों से भी सीख लें – वे भोजन भी साथ साथ समभाग लेते हैं । चिंतन

Read More »

व्यंजन/अर्थ

पर्याय के संधर्व में व्यंजन शब्द स्थूल के लिये उपयोग होता है । पर तत्वार्थ सूत्र – 1/18 में अवग्रह के साथ व्यंजन माने अस्पष्ट

Read More »

पारिणामिक भाव

इनको परम-भाव भी कहते हैं, क्योंकि ये अन्य द्रव्यों से प्रभावित नहीं होते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

श्रेणी और व्रत

श्रेणी चढ़ते समय व्रतों का पालन तो होता नहीं (प्रवृत्ति नहीं) तो निर्जरा कैसे ? 1. श्रेणी में प्रवृत्ति नहीं, पर व्रत/नियम तो हैं जैसे

Read More »

गज़स्नान / रई

जब तक बीच में रई रहेगी तब तक बंधन रहेगा ही । गज़स्नान और रई के उदाहरण में काल भेद का फ़र्क है ।

Read More »

गुण / लक्षण

जो गुण प्रकट हो जाते हैं, उन्हें लक्षण कहते हैं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

पारिणामिक भाव

भवत्वादि पारिणामिक भाव हैं, आत्मा के स्वभाव नहीं । क्योंकि 13वें गुणस्थान में भवत्व छूट जाता है । कुछ आचार्यों ने तो 14वें गुणस्थान में

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

January 23, 2018

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930