Category: अगला-कदम

हुंड़ावसर्पिणी के अपवाद

क्या सब हुंड़ावसर्पिणी के अपवाद एक से ही होते हैं ? आगम में हुंड़ावसर्पिणी के अपवाद बतायें हैं, अन्य कालों में कैसे अपवाद होते हैं,

Read More »

असाता

दु:ख का वेदन कराने के अलावा (असाता का उदय), सुख की सामिग्रियों का नाश भी करता है । इसमें अंतराय का उदय भी सहयोग करता

Read More »

अनंत

काल पर्यायात्मक अनंत है, जीव द्रव्यात्मक । पं. श्री मूलचंद्र लुहाड़िया जी

Read More »

कर्म बंध

कहते हैं – कर्म कर्म को खींचते हैं । पर चौदहवें गुणस्थान में तो कर्म सत्ता में हैं, पर आश्रव नहीं ? कारण – योग/निमित्त

Read More »

संसार व लोक भावना

संसार भावना – भावनात्मक, चार गति, रागद्वेष, लोक भावना – क्षेत्रात्मक , छ: द्रव्यों के बारे में ।

Read More »

आर्यिका

संयम लब्धि सर्वोत्कृष्ट, संयमासंयम लब्धि उस पुरूष श्रावक की, जो मुनि बनने के सम्मुख खड़ा है ।

Read More »

पल्य/सागर

पल्य , 45 अंक प्रमाण होता है । सागर=10 कोडा कोडी पल्य का । बाई जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

November 16, 2015

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930