Category: चिंतन

रुचि / अरुचि

डाकू से बातें कितने आदरपूर्वक, ध्यान देकर पर अरुचि से करते हैं; मित्र से रुचिपूर्वक। संसारीयों से पूरा ध्यान, आदर पूर्वक पर अंदर से अरुचिपूर्वक,

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प्रार्थना / आभार

“प्रार्थना” से ज्यादा “आभार” प्रकट करना कारगर होता है। प्रार्थना में नकारात्मकता/दीनता है/ अपने व्यक्तित्व को गिराना है/ अवसर कभी-कभी आते हैं, जब आप मुसीबत

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जैन दर्शन

जीने की बात आती है तो पहले ख़ुद जीने को कहा, फिर दूसरों को (जियो और जीने दो) । मरने के विषय में ख़ुद को

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क्रियायें

हम बाहर की क्रियाओं को बहुत महत्त्वपूर्ण देते हैं जैसे कोयल की आवाज, हालांकि हम यह भी नहीं जानते कि वह क्यों और क्या बोल

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73वाँ गणतंत्र दिवस

क्या इतने सालों में हम राजनीति/ धर्मादि के क्षेत्रों में पूर्वाग्रह की बेड़ियां तोड़ पाये हैं ? अपनी मान्यताओं को मानने की मनाही नहीं है

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ध्यान

किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करना…. तो क्या अच्छी, बुरी किसी भी वस्तु पर ध्यान लगा सकते हैं ? जब बच्चा होने वाला होता है,

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आत्मा को संबोधन

जिन्होंने अपनी आत्मा को कमज़ोर/आत्मविश्वास कम कर लिया है, वे आत्मा को स्त्रीलिंग से संबोधित करते हैं; मजबूती वाले पुल्लिंग से। चिंतन

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स्थिरता

ज्यादा ऊंचाई पर बादल कम गतिशील होते हैं, नीचे वाले ज्यादा दौड़ते दिखते हैं। यही सिद्धांत मनुष्यों में भी लगा लेना। चिंतन

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दूर से निर्णय

मंदिर से लौटते समय दूरी पर सत्संगी बहन दिखायी दीं । समझ नहीं पा रहा था कि वे मंदिर की ओर आ रही हैं या

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मौन

अपने से ज्यादा ज्ञानी के सामने बोलना मत वरना ज्ञान लेने में अवरोध आ जायेगा । अपने से कम ज्ञानी के सामने बोलना मत वरना

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मंगल आशीष

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