Category: चिंतन

छवि

उस छवि की ही चिंता की जाती है, जिसकी छाया पड़ती है, जैसे मकान, कार, शरीर आदि । आत्मा की छाया पड़़ती नहीं , सो

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यात्रा

संसार तथा परमार्थ की यात्रायें, सूक्ष्म से शुरु होकर अंत भी सूक्ष्म पर ही समाप्त होती हैं । जन्म/मृत्यु (एक cell से राख), सूक्ष्म निगोदिया

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ज्ञान / विज्ञान

ज्ञान पढ़ा/बोला जाता है, Theory है; विज्ञान ज्ञान के साथ साथ किया/देखा जाता है, Practical भी है । चिंतन

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ज्ञात / अज्ञात

पंडित लोग प्राय: अज्ञात/अंदर के विषयों की चर्चा करते हैं जैसे आत्मादि, जबकि साधुजन ज्ञात/बाह्य क्रियाओं की । क्योंकि पंडित प्राय: आचरणों से दूर रहते

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विरोध

गतिमान का विरोध ही नहीं, अंतर-विरोध भी होता है । पर दृढ़त/संकल्प इन विरोधों को Stepping Stone बनाकर अपनी प्रगति को बढ़ा देते हैं। जैसे

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सज़ावट

दीपावली के अवसर पर घरों के बाहर ख़ूब सजावटें की गयीं, घरों के अंदर बस एक/ दो कागज़ के फूलों की माला ! बाहर की

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मृत्यु

मृत्यु के बाद कुछ समय तक शरीर के अवयवों में जान उनके अपने-अपने Cells की Energy से बनी रहती है, जैसे हर दुकान पर कुछ

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भगवान / गुरु

अपनी प्रेम करने वालों की सूची में, भगवान/ गुरु को कम से कम नीचे तो रख लो । Top पर तो वे अपने आप आ

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छवि

जिसकी छाया पड़ती है जैसे मकान, कार, शरीर आदि, उसी की छवि की चिंता होती है । आत्मा की छाया नहीं पड़ती सो हम उसकी

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मंगल आशीष

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