Category: चिंतन

ज्ञान

एक सूर्य का प्रकाश है जो सदैव एक सा रहता है जैसे भगवान का ज्ञान। दूसरा सूर्य के आगे आये बादलों से छन कर आया

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सिलसिला

रस्सी बुनने वाला ज़िंदगी भर रस्सी बुनता रहता है पर रस्सी का कभी अंत/छोर नहीं आता, क्योंकि वह लगातार जूट के टुकड़े लगाता जाता है।

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कल्याणी

कल्याण की अपेक्षा, व्यक्तियों के 4 भेद होते हैं – 1. स्व-कल्याणी : जो सिर्फ अपने कल्याण की ही सोचते हैं। 2. पर-कल्याणी : जो

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वृक्ष लगाना

“एक वृक्ष लगाने में 100 संतान पाने का पुण्य मिलता है”, ऐसा इसलिये कहा क्योंकि एक वृक्ष इतनी ऑक्सीजन देता है जो 100 बच्चों को

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रुचि / अरुचि

डाकू से बातें कितने आदरपूर्वक, ध्यान देकर पर अरुचि से करते हैं; मित्र से रुचिपूर्वक। संसारीयों से पूरा ध्यान, आदर पूर्वक पर अंदर से अरुचिपूर्वक,

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प्रार्थना / आभार

“प्रार्थना” से ज्यादा “आभार” प्रकट करना कारगर होता है। प्रार्थना में नकारात्मकता/दीनता है/ अपने व्यक्तित्व को गिराना है/ अवसर कभी-कभी आते हैं, जब आप मुसीबत

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जैन दर्शन

जीने की बात आती है तो पहले ख़ुद जीने को कहा, फिर दूसरों को (जियो और जीने दो) । मरने के विषय में ख़ुद को

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क्रियायें

हम बाहर की क्रियाओं को बहुत महत्त्वपूर्ण देते हैं जैसे कोयल की आवाज, हालांकि हम यह भी नहीं जानते कि वह क्यों और क्या बोल

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73वाँ गणतंत्र दिवस

क्या इतने सालों में हम राजनीति/ धर्मादि के क्षेत्रों में पूर्वाग्रह की बेड़ियां तोड़ पाये हैं ? अपनी मान्यताओं को मानने की मनाही नहीं है

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ध्यान

किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करना…. तो क्या अच्छी, बुरी किसी भी वस्तु पर ध्यान लगा सकते हैं ? जब बच्चा होने वाला होता है,

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मंगल आशीष

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