Category: चिंतन
अंतरंग
दाहसंस्कार के समय सिर को फोड़ा जाता है ताकि अंदर से भी पूरी तरह राख बन जाय, अधूरी रह गयी तो कितनी वीभत्स दिखेगी। जिंदा
धर्म / पुण्य / साता
धर्म साता के साथ… पुण्य + साता का बंध धर्म असाता के साथ… पुण्य + असाता का बंध अधर्म असाता के साथ… पाप + असाता
विवेक / आचरण
“जाग जाओ” यानि जाग (विवेक) + जाओ (आचरण करो, जागकर बैठे मत रहो)
दुःख
दुःख में ज्यादा दुखी होंगे तो दु:ख ज्यादा होंगे। दुःख में कम दुखी होगे तो दु:ख कम होंगे। जैसे शरीर पर से साँप निकलना दुःख
भरोसा
गृहस्थ भरोसे वाला नहीं तो बुरा। साधु भरोसे वाले नहीं तो अच्छा/ पहुँचा हुआ (कब छोड़कर चल देंगे, पता नहीं)। चिंतन
नियम
आवश्यकताओं की तरह, नियम भी 3 प्रकार के…. (1) आवश्यक…. Minimum, इतने तो होने ही चाहिये। किसी भी हालात में छोड़ना नहीं। (2) आरामदायक…. आराम
सगा
जो अपने सगों की कमजोरियाँ जिनसे Share करे, वह सबसे ज्यादा सगा (फिर चाहे वह अपना Blood Relative हो या ना हो)। चिंतन
गृहस्थ / साधु
गृहस्थ और साधु में अंतर गृहस्थ परिस्थितियों को अपने अनुसार बदलने का प्रयास करता रहता है। परिस्थितियां नित नयी बदलती रहती हैं; सो उसके अनुरूप
पतझड़
इस मौसम में सब वृक्ष अपने पत्ते छोड़ते हैं। क्या उनको पुण्य मिलेगा ? नहीं, क्योंकि उनके पत्ते छोड़ने का कारण ममत्व कम करना नहीं
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