Category: चिंतन
शक्ति / कमज़ोरी
प्रभु ! इतनी शक्ति ना भी हो कि गुणों की खेती लहरा सकूँ तो चलेगा, पर इतना कमज़ोर ना हो जाऊँ कि अवगुणों की (विषाक्त)
गुण
क्या विदेशों के पेड़ ज्यादा हरे और ज्यादा घने होते हैं ? नहीं, पर वे ज्यादा उगाते हैं/उनका रक्षण ज्यादा करते हैं । गुणों का
धर्मध्यान
धर्मध्यान अग्रिम ज़मानत है, इसीलिये घर से बाहर जाने से पहले देवदर्शन करके जाते हैं, पापोदय होने पर विधानादि करते हैं । चिंतन
यथार्थ स्वरूप
जैसे भगवान, वैसा मैं – अभिमान आयेगा, प्रगति का भाव नहीं होगा । जैसी चींटी, वैसा मैं – हीनता का भाव आयेगा । “जैसा मैं,
साधु-भक्ति
साधु की भक्ति देख, प्रियजन डरते/चिड़ाते हैं कि साधु बन जायेगा, पर भगवान की भक्ति करते समय नहीं, ऐसा क्यों ? क्योंकि साधु बनने की
भुक्खड़
रेशम का कीड़ा 56 दिन में अपने वज़न से 86000 गुना भोजन खा लेता है । ऐसा भुक्खड़ ज़िंदा उबाला जाता है । जरूरत से
चाहना
जिसे चाहो, उससे कुछ मत चाहो । (ललित) जिससे चाहते हो, उसे चाहते नहीं हो । चिंतन
आत्म-सुख
खुशी में हंसते हुये आँखें बंद हो जाती हैं, दु:ख/भय में और खुल जाती हैं । सही तो है – जब बाहर से दृष्टि अंदर
अनाधिकार चेष्टा
चन्द्रमा भी जब सूर्य के समय में अनाधिकार चेष्टा करके घुस आता है, तब निस्तेज हो जाता है । चिंतन
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