Category: चिंतन
सपने / लक्ष्य
सपनों के साथ पुरुषार्थ किया जाये तभी वे लक्ष्य में परिवर्तित हो पाते हैं ।
निर्वाह और निर्वाण
जब वर्तमान में निर्वाह आराम से चल रहा है तो कल के निर्वाण की चिंता क्यों करें ? ताकि कम से कम, कल का निर्वाह
कल्याण
जब तक (अपनी कमज़ोरियों के लिये) दूसरों को दोष देते रहोगे – उनके कल्याण और अपने अकल्याण की सम्भावनायें बढ़ती रहेंगी । चिंतन
यथार्थ
दो मित्र नित्य नदी पर जाकर डुबकी लगाते थे । Deal थी कि सिक्के पहले मित्र को मिलेंगे और सूरज (जिसका प्रतिबिम्ब नदी में दिखता
एक और एक ग्यारह
मकान के खंभे में लोहे की छ्ड़ें अकेले सीधी खड़ी भी नहीं रह पातीं, पर सीमेंट के साथ ऊँची ऊँची मंज़िलों को बना देती हैं
आकर्षण
अज्ञानी का आकर्षण नवीन और विविधता की ओर होता है, इसीलिये उनमें अस्थिरता रहती है । ज्ञानी का पुरातन और स्थाईत्व की ओर रहता है
पूर्ण विकास
खिले फूलों को देख खुश मत हो जाना, विकास की सार्थकता तो पराग पर से अंदर की पंखुड़ियाँ हटाना है/खुशबू बिखेरना है , संस्कारों की
शमन
क्या झगड़े को आधे में रुकवाना न्यायसंगत है ? क्योंकि एक पक्ष घाटे में रह सकता है ! अग्नि को किसी भी Stage पर बुझाना
वृद्धावस्था
पुराने व्यक्ति और टेप रिकार्डर में एक सी समस्या होती है – दोनों की सुई एक जगह/बात पर अटक जाती है । समाधान – जानकार/गुरु
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