Category: चिंतन

वीतरागता

आँसू चाहे खुशी के हों या दु:ख के, दृष्टि को तो धूमिल करते ही हैं। इसीलिए वीतरागता का इतना महत्व है। चिंतन

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पुण्य / पुरुषार्थ

मोबाइल की बैटरी 8% रह गयी। चार्जिंग पर लगाया फिर भी चार्जिंग घटती जा रही थी। 1% पर पहुंचकर बढ़ना शुरू हुई। स्टॉक के पुण्य

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चैंपियन

कैरम के खेल में चैंपियन वह नहीं बनता जिसका निशाना बहुत अच्छा हो। बल्कि वह बनता है जो अपनी अगली गोटी बनाना तथा दुश्मन की

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प्रश्न

सबसे बड़े/ महत्वपूर्ण प्रश्न ? हम मनुष्य क्यों बने हैं, कीड़े-मकोड़े क्यों नहीं बने ! हमारे कृत्य मनुष्यों जैसे हैं या जानवरों जैसे !! चिंतन

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तृष्णा

चिड़िया के बच्चे ने माँ से पूछा – ये कैसा जीव है! चलता तो हमारी तरह दो पैरों से ही है पर दो हाथ क्यों

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उन्नति / अवनति

कैसे तय करें कि हम उन्नति कर रहे हैं या अवनति ? दूसरों से अपने बारे में Opinion लें। Negative Remarks आने पर उस व्यक्ति

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धर्म / अध्यात्म

धर्म……….क्रियात्मक (मुख्यता से), अध्यात्म… भावात्मक। लेकिन धर्म की क्रियाओं को भावों के साथ करेंगे तभी भावात्मक अध्यात्म जीवन में आयेगा। चिंतन

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स्पर्शन

कल्पनाओं में दूर देश बैठे प्रियजनों का स्पर्शन अनुभव करके रोज आनंदित होते हैं। गुरुओं/ भगवान (अरहंत, सिद्धों) का क्यों नहीं है ! चिंतन

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प्रण

चाणक्यादि ने प्रण लेते समय चोटी में गाँठ बाँधी। द्रौपदी आदि ने चोटी खोली। उल्टी क्रियायें क्यों ? पुरुषों की चोटी खुली रहती हैं, स्त्रियों

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अकर्ता

जो अपने को अकर्ता मानता है वह विनम्र होता है। कर्ता मानने वाला ही अकड़ता है। चिंतन

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मंगल आशीष

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