Category: चिंतन

उच्चारण

शुद्ध उच्चारण आत्मा को शुद्ध करने में सहायक होता है जैसे शुद्ध भाव । चिंतन

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भक्ति और संगीत

भक्ति में संगीत, भावों की बढ़ोतरी में सहायक है; पर संगीत में अटकें नहीं/भावों को भूलें नहीं । चिंतन

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तृप्ति

धार्मिक क्रियाओं से तृप्ति मिलती है । भोग विलास से अतृप्ति, पर ये अतृप्ति अज्ञानियों के लिये फिर फिर आकर्षण का कारण बन जाती है

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टोकना

कुत्ता नये लोगों पर ही भौंकता है । हम पुरानी बातों पर भी । चिंतन

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नियति

जो Best पुरुषार्थ के बाद शेष रह जाये, वह नियति है । चिंतन

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धर्म का काम

गुण/अवगुण तो सबमें होते हैं, पर धर्म से गुणों में स्थिरता आती है जैसे दूध का दही बन जाता है। धर्म अवगुणों से ऊपर उठा

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कलयुग

सुंदर मोर* कम होते जा रहे हैं, जो हैं उनकी आवाज़ शोर शराबे में सुनाई नहीं देती है । उन्हें देखने/सुनने सुबह जल्दी उठकर, उनके

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पहली कमाई

पहली कमाई परमार्थ में लगाना चाहिए । (जैसे गाय का पहला दूध प्रयोग नहीं करते ) चिंतन

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मंगल आशीष

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