Category: चिंतन

ज्ञान

कोरा ज्ञान अच्छा नहीं माना जाता । क्यों ? कोरा कपड़ा नहीं पहना जाता, धुलकर ही पहनने लायक होता है । ज्ञान चारित्र/अनुभव से जब

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गति/ठहराव

वादविवाद में अटकन है/ठहराव है, भक्ति में गति । जिसके प्रति भक्ति की जायेगी, गति वहीं तक होगी जैसे दुकान के प्रति तो वहाँ तक,

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सहारा

हर समय/हर बात के लिये सहारा लेने वाले जल्दी ही बेसहारा हो जाते हैं । जो हारा वह सहारा लेता है, दूसरों के सहारे कोई

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तस्वीर

जिसको भी गलत तस्वीर दिखाई , उसे ही खुश रख पाया मैं ; दर्पण दिखाने पर तो , सारे ही रुठ गये मुझसे । (श्री

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दीपावली

गंदगी पर स्वच्छता की, अज्ञान पर प्रकाश की, पापों पर धर्म की संसार पर मोक्ष कि विजय का प्रतीक दीपावली है । चिंतन

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धन तेरस

धन तेरा क्या रस (धन को जब अपना नहीं मानोगे तब ही तो रस आयेगा) इसीलिये शायद आज के दिन धन को खर्च करने का

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ज्ञान/आचरण

बच्चों में बैठने/चलने/दौड़ने का ज्ञान, शरीर की शक्ति के अनुसार ही आता है । यानि प्रकृति भी ज्ञान और आचरण को अनुपात से ही उदघाटित

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पाप/पुण्य

पाप और पुण्य फुटबॉल के खेल की दो टीमें हैं। कम से कम पाप के गोल पुण्य से अधिक मत होने देना, पुण्य को जिताने

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भाग्य / पुरुषार्थ

Touch screen के मोबाइल में एक जगह touch करो तो मित्र से connect हो जाओ । उसी जगह दूसरे mode में touch करो तो दुश्मन

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सज़ा

शेर भी अन्याय करता है – दूसरों के बच्चों / कमजोरों / बूढ़ों को जिंदा खा जाता , पत्नियों को छीन लाता , अपनों को

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मंगल आशीष

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