Category: चिंतन

हवस

सनक और हवस एक से होते हैं, दोनों में ही दूसरों का ख्याल नहीं रखा जाता, सिर्फ अपना ही Interest ध्यान रहता है । चिंतन

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देवदर्शन

मंदिर में भगवान के दर्शन करने नहीं, उनके माध्यम से अपने दर्शन करने जाना चाहिये । अपने को पहचानने का माध्यम है, देवदर्शन । चिंतन

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ज्ञान

संसारिक ज्ञान संसार को मात दे सकता है, आध्यात्मिक ज्ञान अपने आप को; पर इससे संसार को जीता जा सकता है, संसार से छूटा जा

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कर्म

हमारे कर्म ही, हमारों से, हम को अलग करने में कारण बनते हैं । चिंतन -श्रीमति शशि

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ज्ञान

ज्ञान दीपक है, आत्मा को प्रकाशित करता है; पर यदि उस पर control नहीं किया तो वही ज्ञान, जीवन को जला भी देता है ।

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निमित्त

झींगुर उल्टा पड़ा हो तो बहुत पुरूषार्थ करने पर भी सीधा नहीं हो पाता । जरा सा निमित्त मिल जाये, ज़रा से सहारे से सीधा

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स्त्री

क्या स्त्री सब लड़ाईयों की जड़ है ? नहीं, स्त्री के प्रति जो आसक्त्ति है वह युद्ध कराती है । चिंतन

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सांसारिक सुख

स्व. श्री होतीलाल जी (वरवाना) कई गांवों के जमींदार थे । उनके सेवक जब कोई गलती करते तो आप जूते उतार कर उनकी पिटाई कर

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अतिथि

जिसकी आने की तिथि निश्चित नहीं, ऐसे मेहमान के आने पर आप घबराते हैं, दु:खी होते हैं ? या उनका स्वागत करते हैं ? मृत्यु

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मंगल आशीष

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