Category: चिंतन
इन्द्रिय विजय
5 इन्द्रियाँ आपकी सेवक हैं, यदि आपने उन्हें सिर पर रक्खा है तो आगे चलकर वे आपकी मालिक बन जायेंगी । यदि उन्हें सेवक की ही
आकांक्षा
पूरे माह ईमानदारी और मेहनत से काम करेंगे तो माह के अंत में पगार मांगना पड़ेगी या अपने आप बैंक में पहुँच जायेगी ? अच्छे
मृत्यु-भय
मृत्यु-भय किनको लगता है ? श्रीमति शर्मा मृत्यु-भय उनको होता है, जिन्हें कर्म-सिद्धांत पर और अपने कर्मों की अच्छाई पर भरोसा नहीं हो । यदि
मोक्ष/संसार
श्रीमति शकुंतला जी की आर्यिका दीक्षा सोनागिर जी में 23 मई 2010 को संपन्न होनी थी । Programme पता करने के लिये, उनके पुत्र श्री
संसार
एक दिन एक चूहा Dustbin में पूरा ना घुसकर वापस आ गया, क्योंकि उसकी Surface चिकनी थी । लेकिन हम संसार के चक्रव्युह में बाहर
पशुता से देवत्व की ओर
हम सब चारों गतियां हर समय बांधते रहते हैं ,वे कर्म हमारी आत्मा से चिपकते रहते हैं । जब भी विपरीत परिस्थितियां उपलब्ध हों तब
स्वार्थ/परमार्थ
अपने स्वार्थ से यदि परमार्थ की भी सिद्धि हो रही हो तो यह अच्छा ही है । जैसे सामुहिक स्वाध्याय तथा बच्चों को संस्कार देते
कर्म
पूरी सावधानी के साथ झूले पर बैठा फिर भी जरा सी हलचल से झूला बहुत देर तक हिलता रहा । सावधानी के साथ किये गये
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