Category: चिंतन
बदलाव
मोबाइल में ढेरों सूचनायें जमा होने पर वह काम करना बंद कर देता है, तब नया लेना बेहतर है। हमारे मन में लोगों के प्रति
आवश्यक
“आवश्यक” भी मांगें नहीं, “आवश्यक” करें, तब “आवश्यक” मिल जाएंगे। चिंतन
बिम्ब / प्रतिबिम्ब
तीर्थयात्रा से लौटने पर कहा गया… आपके जाने से सूना हो गया था। भगवान के जाने पर मंदिर सूने नहीं हुए। क्योंकि वहाँ भगवान के
आदत
अच्छी आदत की एक बुरी आदत भी है…. देर से आदत पड़ती है और छूटने की जल्दी मचाती है। चिंतन
धर्म का कार्य
धर्म संकटों को समाप्त नहीं करता, उन्हें सहने की शक्ति देता है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी अपने पापों को स्वीकार कराता है/ पापों का
माध्यस्थ मार्ग
कुण्डलपुर यात्रा में टैक्सी ड्राइवर माध्यस्थ Speed से चल रहा था (80/90 k.m./h)। कारण ? पेट्रोल बचाकर इनाम पाया (1 हजार रुपये का)। हम भी
परिवार / धर्म
परिवार कमियों के साथ स्वीकारा जाता है। धर्म में कमियों को सुधारा जाता है। चिंतन
मौन
मौन में बात बंद करना नहीं होता है, बस दूसरों की जगह अपने आप से बात करनी होती है। चिंतन
संगति / पुरुषार्थ
कुसंगति के प्रभाव से बचे रहने के लिये बहुत पुरुषार्थ करना होता है। लेकिन सुसंगति के बावजूद व्यक्ति बिगड़ जाए तो पुरुषार्थहीन ही कहलायेगा। ऐसे
धर्म
धर्म को कैसे पहचानें/ जानें ? जैसे आत्मा को पहचानते/ जानते हैं – शरीर के माध्यम से। ऐसे ही धर्म को धार्मिक क्रियाओं के माध्यम
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