Category: डायरी

लोक मूढ़ता

मरी मछली ही धारा के साथ बहती है, ज़िंदा तो धारा के विपरीत भी। स्वामी विवेकानंद

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बढ़ती उम्र

बढ़ती उम्र में दृष्टि कमजोर होने लगती है, लेकिन बहुत कुछ स्पष्ट दिखने लगता है। (अरुणा)

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अच्छा

यदि आपको कोई अच्छा लग रहा है तो मानकर चलिये कि वह अच्छा हो भी सकता है अथवा ना भी हो, पर आप अच्छे अवश्य

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बोल

बोलना तो सभी को आता है। किसी की ज़ुबान बोलती है, किसी की नियति; पर जब इन लोगों का “समय” बोलता है तब इनकी बोलती

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आ अब लौट चलें

सूरज नित्य लौटता है इसलिये नित्य पूर्ण तेजस्विता/ सुंदरता से फिर-फिर आता है। अभिमन्यु लौटना नहीं जानता था/ लौट नहीं पाया, सो अंत को प्राप्त

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विनम्रता

पंछियों को ऊपर उठने के लिये पंखों की ज़रूरत होती है; मनुष्य को विनम्रता की, जितनी-जितनी विनम्रता बढ़ेगी, उतना-उतना वह ऊपर उठेगा। (एन.सी.जैन)

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मंगल आशीष

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