Category: डायरी
दुखाभास
सुखाभास (सांसारिक/इंद्रिय सुखों को सुख मानना) की तरह दुखाभास भी होता है । दुखाभास = 1. दुखों को ओढ़ लेना 2. इच्छित वस्तु का ना
अहम्
धागे के अहम् को बनाये रखने के लिये मोम अपना सर्वस्य दे देता है, फिर भी धागे का वहम् समाप्त नहीं होता, हम इनसे दूर
मृत्यु
मृत्यु से डर लगता है कि उस पार ना जाने कैसा/क्या होगा ? तभी दरवाजा खुला और पालतु कुत्ता खुश होकर मालिक को चाटने लगा
गलतियों से सीख
हमारी उम्र इतनी नहीं कि हम ख़ुद हर प्रकार की गलती कर सकें, इसलिये दूसरों की गलतियों से सीख लेना ही होगा । (यदि हम
अच्छा/बुरा समय
दुर्योधन के पास अजेय योद्धा होते हुये भी हारने का कारण है – उसने अच्छे समय में उनको(अजेय योध्दाओं को) याद नहीं किया, इसलिये बुरे
पानी
1. गर्म तवे पर ठंडा पानी डालोगे तो उड़ जायेगा, गर्म टिकेगा । सो गर्म पानी पियें । 2. भोजन ऐसा (सादा) करें जिसे पचाने
धन
धन ज़रूरत के लिये, ज़रूरतमंदों के लिये, जोड़ने और छोड़ने के लिये नहीं । नाव को मंज़िल तक पहुँचाने के लिये, नाव में भरने/डुबाने के
कोरोना
भगवानों तक ने सैकड़ों सालों तक कैसी-कैसी विपत्तियाँ झेलीं/ कर्मों से युद्ध करते रहे, और उनके भक्त कुछ महीनों के कोरोना से घबराने/डरने लगे !
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