Category: वचनामृत – अन्य

सुख

सुख की तासीर है सुप्तता। सो सुख में सावधानी अत्यंत आवश्यक है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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मृत्यु

जब मृत्यु निश्चित है तो डर क्यों? अपने कर्मों तथा कर्म-सिद्धांत पर विश्वास की कमी। ध्यान/ Meditation के अभ्यास की कमी। (जो ध्यान में मृत्यु

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मंत्र

मंत्र दो प्रकार के → उपासना मंत्र → इसमें किसी उपास्य का नाम नहीं, अपनी आलोचना नहीं, मात्र वंदना भाव (जैसे णमोकार) बीज मंत्र →

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तप

ये तन तेरा कोयला, धो-धो काला होय। तप अग्नि में गर जले, चाँदी-चाँदी होय।। घड़ा अग्नि में तप कर ही पानी को शीतलता प्रदान कर

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सभ्यता / संस्कार

सभ्यता जो सबके सामने दर्शायी जाए। जो प्राय: सभी लोग अच्छे से निभा लेते हैं। संस्कार अकेले में पता लगते हैं। जो आपका असली व्यवहार/

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घर

घर के मुख्य भाग हैं… ड्राइंग रूम, बेडरूम, किचन और स्टोर रूम। ड्राइंग रूम.. जहां पुरस्कार रखे जाते हैं लोगों को दिखाने के लिए। पुरानी

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प्रतिभा / दीक्षा

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 25 ब्रह्मचारी जिनमें कुछ इंजीनियर, पोस्ट ग्रेजुएट, एल.एल.बी. आदि थे। उनको एक साथ दीक्षा दी गई। अगले दिन टिप्पणी

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विनाश

बड़े/ पूज्य जैसे पिता/ गुरु अपनी खुद की चिंता/ भला करने लगें; पिता कमाये छोटे बैठे रहें, तो दोनों का विनाश। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर

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Teacher

T = Talent E = Education (ज्ञानी) A = Active (जागृत) C = Careful H = Honest E = Efficient R = Regular ऐसे Teacher

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सत् / सत्य

सत् अस्तित्व रूप है। सत्य हमेशा सत् हो आवश्यक नहीं। सत्य धर्म नहीं धर्म तो अहिंसा है, सत्य उसकी रक्षा करता है। निर्यापक मुनि श्री

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मंगल आशीष

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