Category: चिंतन
दोष
दोष दूसरे बतायें तो Sorry से काम चल जायेगा; ख़ुद महसूस करें तो प्रायश्चित लें । चिंतन
छवि
उस छवि की ही चिंता की जाती है, जिसकी छाया पड़ती है, जैसे मकान, कार, शरीर आदि । आत्मा की छाया पड़़ती नहीं , सो
धार्मिक क्रियायें कितनी ?
अमृत कितना लेना चाहिये ? जितना भी लें, श्रद्धा से/ आकुलता रहित/ अमृत तथा लाभकारक मान कर लें । चिंतन
यात्रा
संसार तथा परमार्थ की यात्रायें, सूक्ष्म से शुरु होकर अंत भी सूक्ष्म पर ही समाप्त होती हैं । जन्म/मृत्यु (एक cell से राख), सूक्ष्म निगोदिया
ज्ञान / विज्ञान
ज्ञान पढ़ा/बोला जाता है, Theory है; विज्ञान ज्ञान के साथ साथ किया/देखा जाता है, Practical भी है । चिंतन
ज्ञात / अज्ञात
पंडित लोग प्राय: अज्ञात/अंदर के विषयों की चर्चा करते हैं जैसे आत्मादि, जबकि साधुजन ज्ञात/बाह्य क्रियाओं की । क्योंकि पंडित प्राय: आचरणों से दूर रहते
विरोध
गतिमान का विरोध ही नहीं, अंतर-विरोध भी होता है । पर दृढ़त/संकल्प इन विरोधों को Stepping Stone बनाकर अपनी प्रगति को बढ़ा देते हैं। जैसे
सज़ावट
दीपावली के अवसर पर घरों के बाहर ख़ूब सजावटें की गयीं, घरों के अंदर बस एक/ दो कागज़ के फूलों की माला ! बाहर की
मृत्यु
मृत्यु के बाद कुछ समय तक शरीर के अवयवों में जान उनके अपने-अपने Cells की Energy से बनी रहती है, जैसे हर दुकान पर कुछ
भगवान / गुरु
अपनी प्रेम करने वालों की सूची में, भगवान/ गुरु को कम से कम नीचे तो रख लो । Top पर तो वे अपने आप आ
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