अगर इंसान छाँव देने वाले वृक्षों की कद्र ना करे,
तो
धूप उसका नसीब बन जाती है ।

(मंजू …🙏🏻)

कभी हँसते हुए छोड़ देती है, ये ज़िंदगी;
कभी रोते हुए छोड़ देती है, ये ज़िंदगी ।
न पूर्ण-विराम सुख में,
न पूर्ण-विराम दुःख में,
बस!
जहाँ देखो वहाँ, अल्पविराम छोड़ देती है, ये ज़िंदगी ।

🌹 सुरेश 🌹

चरित्र वृक्ष के समान है,
लेकिन प्रतिष्ठा उसकी छाया* है..

🙏 मंजू 🌳

* पापोदय से यदि बादल छा जांय तो छाया नहीं पड़ेगी,
लेकिन चरित्र रूपी वृक्ष यदि खड़ा रहा/अड़ा रहा तो प्रतिष्ठा रूपी छाया आज नहीं तो कल उसके आसपास छा ही जायेगी,जब पापोदय के बादल छटेंगे ।

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