यदि हम हिंदी राष्ट्रीय भाषा को उन राज्यों में जहाँ हिंदी नहीं बोली जाती, हिंदी की स्वीकार्यता चाहते हैं तो उनकी भाषा के भी कुछ-कुछ शब्द हिंदी बोलने वाले नागरिकों को सीखने चाहिए।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 25 फ़रवरी)
अंग्रेजी भाषा में 26 अक्षर, हिंदी में 52 होते हैं। हिंदी के परम्यूटेशन कांबिनेशन अंग्रेजी से दुगने नहीं, मल्टीप्लाई होंगे।
इसका असर..
1) अंग्रेजी में शब्दों की कंगाली।
2) भावों की कमी जैसे अंकल का मतलब चाचा भी और फूफा भी, जब कि बर्ताव चाचा और फूफा से अलग-अलग होता है।
3) अधिक परम्यूटेशन कांबिनेशन से दिमाग भी अधिक विकसित होता है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 25 फ़रवरी)
रामायण के चरित्रों की विशेषता…
राम… पिता की आज्ञा मानकर वन गए इसलिए राम बन गए।
लक्ष्मण… वैसे तो परछाईं काले रंग की होती है पर राम की परछाई श्वेत थी, गोरे लक्ष्मण के रूप में।
भरत… गलती ना करके भी प्रायश्चित किया।
उर्मिला… लक्ष्मण के साथ न रह कर, घर में रह गयीं। उनकी मां की सेवा की।
मांडवी… तीसरी बहू के रूप में तीन माँओं की सेवा में रहीं। उनका कहना था “पति की आज्ञा मानना ही तो पति के साथ रहना है।”
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 25 फ़रवरी)
महात्मा गांधी जी ने कहा था…
“अहिंसा के लिए भी झूठ नहीं बोलना चाहिए वरना अहिंसा अस्थायी हो जाती है।”
मुनि श्री सौम्य सागर जी (जिज्ञासा समाधान – 24 फ़रवरी)
मछली घोंघे को ग्रहण करती है तो मछली समाप्त हो जाती है*, लोहा जंग को ग्रहण करता है तो लोहा समाप्त।
मनुष्य परिग्रह को ग्रहण करता है, मनुष्य समाप्त हो जाता है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 24 फ़रवरी)
* घोंघे का बाहरी खोल बहुत हार्ड होता है।
रामायण में बताया… लक्ष्मण 14 साल तक आंख खोल कर सो लेते थे यानी कोई भी मूमेंट हुआ तो उसे डिटेक्ट कर लेते थे। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही एक ज्वलंत उदाहरण है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 20 फ़रवरी)
जब तक गुरुओं के पास या मंदिर में रहते हैं, तब तक भावों में बड़ी विशुद्धता रहती है। जैसे ही बाहर आते हैं, विशुद्धता समाप्त हो जाती है। क्या करें ?
आपके भाव 2D हैं, यानी ज्ञान और दर्शन हैं, पर 2D में आकार नहीं बनता। 3D होने पर, यानी चारित्र आने पर, आकार बन जाता है; स्थायी हो जाता है, जैसे लोटे में पानी।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 18 फ़रवरी)
(Ekta- Pune)
सभ्यता जो सबके सामने दर्शायी जाए। जो प्राय: सभी लोग अच्छे से निभा लेते हैं।
संस्कार अकेले में पता लगते हैं। जो आपका असली व्यवहार/ चेहरा होता है। इसे चरित्र भी कहते हैं।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 20 फ़रवरी)
घर के मुख्य भाग हैं…
ड्राइंग रूम, बेडरूम, किचन और स्टोर रूम।
ड्राइंग रूम.. जहां पुरस्कार रखे जाते हैं लोगों को दिखाने के लिए। पुरानी यादें/ हमारा अतीत।
बेडरूम.. सपनों का घर/ भविष्य।
किचन.. धर्म और स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण, हमारा वर्तमान। दुर्भाग्य के किचन खत्म ही होती जा रही है, 1BHK/ 2BHK की जगह अब 1BH/ 2BH के फ्लैट्स बनने लगे हैं।
स्टोर रूम.. किसी को ना दिखाने की जगह जो कबाड़-खाना बन जाता है। कोई भी वस्तु जब बहुत समय तक प्रयोग नहीं की जाती तो कबाड़ा ही तो बन जाती है, यहां तक कि ज्ञान/ मनुष्य-भव भी।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 20 फ़रवरी)
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 25 ब्रह्मचारी जिनमें कुछ इंजीनियर, पोस्ट ग्रेजुएट, एल.एल.बी. आदि थे। उनको एक साथ दीक्षा दी गई। अगले दिन टिप्पणी आई कि “25 प्रतिभाओं ने देश के प्रति कर्तव्यों से पलायन कर दिया”।
स्पष्टीकरण दिया गया… ये प्रतिभायें यदि संसारी अवस्था में रहतीं तो अधिक से अधिक राष्ट्रपति बनतीं पर जब भी राष्ट्रपति आदि तक को दुविधा आती है तो यह प्रतिभायें ही उनका निवारण करती हैं जैसे शिक्षानीति के बारे में ISRO फार्मर चेयरपर्सन श्री ऐ.के. रंगन आचार्य श्री से चर्चा करने गए तो यह सोचकर कि वह कुछ धर्म की बात कहेंगे। पर आचार्य श्री ने शिक्षा की नीति कैसी हो उस पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए, वे बहुत प्रभावित हुए और नई शिक्षा नीति के रेफरेंस में उन्होंने आचार्य श्री का सर्वप्रथम नाम लिया है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 15 फ़रवरी)
आचार्य श्री विद्यासागर जी से पूछा –> मनुष्य की सबसे बड़ी सेवा क्या है ?
अपनी मनुष्यता का एहसास करना।
मुनि श्री विनम्रसागर जी
कोयल आम के पेड़ के ऊपर बैठी गाते-गाते सो गयी। उसे देख एक खरगोश भी पेड़ की छाँव में सो गया। लोमड़ी आयी खरगोश को उठा ले गयी।
भूल गया था ऊँचे स्थान वाले सो सकते हैं, नीचे वालों को तो सतत जागरूक रहना होगा।
साधु कमाये तो दोष, गृहस्थ न कमाये तो दोष।
डॉ. ब्र. नीलेश भैया
बड़े/ पूज्य जैसे पिता/ गुरु अपनी खुद की चिंता/ भला करने लगें; पिता कमाये छोटे बैठे रहें, तो दोनों का विनाश।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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