धर्म का प्रभाव क्यों नहीं हो रहा ?

क्योंकि हम जीवन में धर्म का अभाव महसूस नहीं करते हैं ,
इसलिये धर्म जानने/ समझने के भाव नहीं बनते,
बिना भाव के धर्म का प्रभाव कैसे होगा !

पता कैसे चले कि धर्म का प्रभाव हो रहा है ?
जब धर्म स्वभाव बन जाय ।

चिंतन

संवेदनशील ही सत्संग में जाकर सद्भावनाओं को परिष्कृत करता है ।
उससे आत्मशुद्धि कर, सिद्धि को प्राप्त करता है ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

संसार रूपी किताब के हम पन्ने हैं।
मृत्यु ,पन्ना पलटना है, किताब से अलग होना /फटना नहीं।
पन्ना पलटने पर, उस पर लिखा उपयोगी याद करें/याद रखें।
दुःख आदि अनुपयोगी भूल जायें।

चिंतन

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